"तब चीलगाड़ी" को पहली बार देखने उमड़ पड़ा था सारा जयपुर"

 "तब चीलगाड़ी" को  पहली बार देखने उमड़ पड़ा था सारा जयपुर"

   

—जितेन्द्र सिंह शेखावत

छोटा अखबार।

करीब सौ साल पहले जयपुर के आसमान पर हवाई जहाज उड़ने लगे थे। यह विमान गांव और शहर में  चीलगाड़ी के नाम से चर्चित हो गए थे। ऊपर से उड़ता हुआ विमान दिखता तो लोग  काम काज छोड़ चीलगाड़ी को देखने निकल जाते और बहुत खुश होते। 

17 नवंबर 1935 को सांगानेर हवाई अड्डे का उद्धघाटन हुआ। तब जोधपुर फ्लाइंग क्लब के फ्लाइंग अफसर गॉडविन ने जहाज से हवाई कलाबाजी का जोरदार प्रदर्शन किया था।  

फ्लाइंग लेफ्टिनेंट आपटान ने जयपुर वासियों को विमान में बैठने मौका भी दिया। कुछ साहसी लोग ही जहाज में बैठने के लिए तैयार हुए थे। 

   तीन साल बाद सन् 1938 में ढूंढाड़ राज्य की सारी प्रजा को  करीब से चील गाड़ी को दिखाने के लिहाज से सवाई मानसिंह ने सांगानेर  हवाई अड्डे पर हवाई करतबों  के मेले का आयोजन करवाया। 

 रॉयल इंडियन एयरफोर्स ने  विमान उड़ा कर पैराशूट और गोलाबारी के युद्धाभ्यास का रोमांचक प्रदर्शन किया था। उड़ती चीलगाड़ी को करीब से देखने शहर और गांवों के हजारों नर नारी सांगानेर  हवाई अड्डे की तरफ उमड़ पड़े थे। 

 कोई पैदल तो कोई अजमेरी गेट से चली मोटरों के अलावा इक्का, बग्गी, तांगा और बैलगाड़ियों में बैठकर सांगानेर पहुंचा।  इस मेले की वर्षों तक लोगों चर्चा बनी रही। ढूंढाड़ी कवि अंबालाल ने इस पर  यह कविता लिखी

.सांगानेर में मेलो भरयो छे हवाई जहाज को, बेगा बेगा चालो काम नहीं छे देर को। 

कविता  में लिखा की सब नर नारी  सज धज कर हवाई जहाज को करीब से देखने  सांगानेर की तरफ बढ़ रहे हैं।अजमेरी गेट और रामनिवास बाग के पास मोटरे,  बैलगाड़ी और तांगे खड़े है। इनमें बैठकर सांगानेर जाने को लोग बहुत उतावले हो रहे हैं। 

अजमेरी गेट पर मोटर वाले भी सवारियों से मनमाना किराया वसूल कर रहे थे।  तांगा और ऊंट गाड़ी वाले तीन आना सवारी के हिसाब से सांगानेर ले जा रहे हैं। अमीर हो या गरीब सारे नर नारी पैदल ही सांगानेर की तरफ बढ़ रहे  हैं। बच्चों में हवाई जहाज देखने का बड़ा भारी उत्साह है। वे दादा दादी की अंगुली को छुड़ाकर दौड़ लगा रहे हैं। हवाई अड्डे पर जहां जगह मिली लोग बैठ गए।

 आसमान में  हवाई उड़ाने शुरू हुई और जाबाज सैनिक छतरी से नीचे आए तब रोमांचक नजारे को देख  लोग आश्चर्य से दांतो तले अंगुली दबा लेते। जहाज की तेज आवाज से धड़कन भी बढ़ जाती।   कलाबाज़ी करते जहाज आसमान में  उड़ता तो लोग तालियां बजा कर बहुत खुश होते।  सूरज ढलते ही यह रोमांचक खेल बंद हुआ। लोग पैदल ही  रवाना हो गए । नर नारियों को सर्दी का भी एहसास नहीं हुआ।

जयपुर रियासत के विमानों का सेना के लिए भी उपयोग किया गया । इसके अलावा  आम जनता को कोई भी सूचना बड़े स्तर पर देने के लिए विमानो से परचे भी गिराए जाते रहे। कराची की स्टैंडर्ड वेक्यूम ऑयल कंपनी के पास पेट्रोल व्यवस्था का काम l था तब सांगानेर हवाई अड्डे के आसपास घने  जंगल में  नीलगाय, जंगली सूअर और बघे रे आदि जंगली जानवर ज्यादा होने की वजह से रनवे पर तारबंदी करवाई गई।

Comments

Popular posts from this blog

देश में 10वीं बोर्ड खत्म, अब बोर्ड केवल 12वीं क्‍लास में

आज शाम 7 बजे व्यापारी करेंगे थाली और घंटी बजाकर सरकार का विरोध

सरकार का सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग फेल, रुपयों में छपवानी पड़ रही है, बजट घोषणा की प्रेस विज्ञप्ती

रीको में 238 पदों की होगी सीधी भर्ती सरकार के आदेश जारी 

मौलिक अधिकार नहीं है प्रमोशन में आरक्षण — सुप्रीम कोर्ट

Chief Minister मुख्यमंत्री के विभाग डीआईपीआर में खेला

10वीं और 12वीं की छात्राओं के लिऐ खुशखबरी, अब नहीं लगेगी फीस