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Showing posts from March 13, 2020

राजस्थान आवासन बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित

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राजस्थान आवासन बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित छोटा अखबार। राजस्थान विधानसभा ने गुरुवार को राजस्थान आवासन बोर्ड (संशोधन) विधेयक-2020 ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर सदन में हुई चर्चा के बाद श्री धारीवाल ने कहा कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा पूर्व में बनाए गए करीब 23 हजार आवास बिक्री के अभाव में पड़े हुए जर्जर हो रहे थे इसलिए 25 से 50 प्रतिशत तक की छूट देकर इनकी बिक्री की जा रही है। उन्होंने कहा कि बोर्ड आवासों के निर्माण में गुणवत्ता सुधारने का प्रयास कर रहा है। अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बोर्ड छोटे कस्बों पर आवास बनाने के सुझाव पर ध्यान दे रहा है। ऎसे स्थानों पर आवासों की मांग भी है तथा कई स्थानों पर बोर्ड ने जमीन भी अधिग्रहीत कर रखी है। धारीवाल ने कहा कि बोर्ड को हाउसिंग बोर्ड की भूमि से ही अतिक्रमण हटाने का अधिकार दिया गया है। आवासीय कॉलोनियों में अवैध निर्माण हटाने का जिम्मा नगरीय निकायों का ही है। उन्होंने कहा कि अतिक्रमियों को धारा-51 के तहत सजा का प्रावधान क

100 करोड़ से बनेगा पर्यटन विकास कोष -पर्यटन मंत्री

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100 करोड़ से बनेगा पर्यटन विकास कोष -पर्यटन मंत्री छोटा अखबार। पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में पर्यटन को गति देने के लिए कई नए कार्य कर रही है। आरटीडीसी की बंद 16 इकाईयों को चालू करने के लिए कार्य योजना बनाई गई है। शीघ्र ही नई पर्यटन नीति जारी की जाएगी। पहली बार बजट में पर्यटन विभाग के लिए अतिरिक्त 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।  पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह गुरूवार को विधानसभा में मांग संख्या -47 पर्यटन की अनुदान मांगों पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। बहस के बाद सदन ने पर्यटन की 84 करोड़ 73 लाख 68 हजार रुपये की अनुदान मांगें ध्वनिमत से पारित कर दी। वर्ष 2013-14 की बजट घोषणा में जयपुर की खासा कोठी और आनन्द भवन होटल के जीर्णोद्धार के लिए 10 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। कार्य आरंभ कर कुछ राशि व्यय की गई, लेकिन सरकार बदलने पर यह काम बंद कर दिया गया और इन्हें निजी हाथों में देने के लिए कंसलटेंट की नियुक्ति कर दी गई थी। अक्टूबर, 2018 में इसके भवन के कुछ हिस्से को स्किल यूनिवर्सिटी को किराये पर दे दिया गया था। हमारी सरकार आने के बाद पुनः कार्य शुरू

विवाहित महिला को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देना संविधान का उल्लंघन —हाईकोर्ट

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विवाहित महिला को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देना संविधान का उल्लंघन —हाईकोर्ट छोटा अखबार। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने विवाहित महिलाओं को अनुकंपा पर नियुक्ति के मामले में कहा है कि सरकार की नीति समानता के अधिकार का हनन है।  न्यायालय सूत्रों के अनुसार जस्टिस सुजॉय पॉल, जस्टिस जेपी गुप्ता और जस्टिस नंदिता दुबे की पीठ ने कहा कि अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति के लिए शादीशुदा पुत्री के नाम पर विचार न करने की सरकार की नीति संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने कहा है कि क्या अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के मामले में राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई नीति के क्लॉज 2.2 और 2.4 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25 और 51(ए)(ई) का उल्लंघन कहा जा सकता है, जिसमें आश्रितों की निश्चित श्रेणी निर्धारित की गई है, जिसके तहत अविवाहित, विधवा और तलाकशुदा पुत्री को शामिल किया गया है।  मध्यप्रदेश के सतना जिले की ग्राम खूटा निवासी मीनाक्षी दूबे ने विद्युत वितरण कंपनी में अपने पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति पाने के लिए आवेदन किया था। कंपनी ने आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि राज्य की 12 दिसंबर, 2014 की न