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Showing posts from February 1, 2023

22वे दिन भी सीएमआर पहुंचे आवंटी पत्रकार, मुख्यमंत्री पसीजते नहीं

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22वे दिन भी सीएमआर पहुंचे आवंटी पत्रकार,  मुख्यमंत्री पसीजते नहीं छोटा अखबार। पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला पत्रकार नगर के 571 निर्दोष आवंटी परिवारों के साथ 10 साल से हो रहे अन्याय का जवाब जेडीए के पास नहीं है। अब 22 दिन से रोज मिलने की गुहार लगा रहे पत्रकारों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्यों नहीं मिल रहे, इसका जवाब सीएमआर के अधिकारियों के पास भी नहीं है। जत्थे बनाकर रोज आ रहे पत्रकारों की पीड़ा सीएमआर के अधिकारी ही सुनते हैं और जल्दी ही मिलाने का आश्वासन ही देते है।  बुधवार को भी मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे जत्थे के पत्रकारों को संयुक्त सचिव ललित कुमार ने बताया कि उनके ज्ञापन रोज मुख्यमंत्री जी को दे रहे हैं। जल्दी ही वे पत्रकारों से भी मिलेंगे। हालांकि पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला के 5 पत्रकारों के जत्थे की सुनवाई के लिए सीएमआर में विशेष व्यवस्था की गई है। संयुक्त सचिव ललित कुमार को नायला के आवंटी पत्रकारों को सुनने और उनके आवंटन दस्तावेज जमा करने के लिए लगाया गया है। बीच बीच में मुख्यमंत्री निवास के विशेषाधिकारी देवाराम सैनी और मुख्यमंत्री के वरिष्ठ निजी सहायक सौभाग मल वर्मा भी आवंट

जया एकादशी - आज

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 जया एकादशी - आज   छोटा अखबार। एकादशी तिथि समय अवधि : 31 जनवरी सुबह 11:53 से 01 फरवरी दोपहर 02:01 तक । व्रत उपवास आज 1 फरवरी 2023 को रखा जायेगा । युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा : भगवन् ! कृपा करके यह बताइये कि माघ मास के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है, उसकी विधि क्या है तथा उसमें किस देवता का पूजन किया जाता है ? भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजेन्द्र ! माघ मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका नाम ‘जया’ है । वह सब पापों को हरनेवाली उत्तम तिथि है । पवित्र होने के साथ ही पापों का नाश करनेवाली तथा मनुष्यों को भाग और मोक्ष प्रदान करनेवाली है । इतना ही नहीं, वह ब्रह्महत्या जैसे पाप तथा पिशाचत्व का भी विनाश करनेवाली है । इसका व्रत करने पर मनुष्यों को कभी प्रेतयोनि में नहीं जाना पड़ता । इसलिए राजन् ! प्रयत्नपूर्वक ‘जया’ नाम की एकादशी का व्रत करना चाहिए । एक समय की बात है । स्वर्गलोक में देवराज इन्द्र राज्य करते थे । देवगण पारिजात वृक्षों से युक्त नंदनवन में अप्सराओं के साथ विहार कर रहे थे । पचास करोड़ गन्धर्वों के नायक देवराज इन्द्र ने स्वेच्छानुसार वन में विहार करते हुए बड़े हर्ष के