कर भला तो हो भला
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कर भला तो हो भला छोटा अखबार। एक माँ थी. उसका एक बेटा था। माँ बेटे बहुत गरीब थे। एक दिन माँ ने बेटे से कहा बेटा यहाँ से बहुत दूर तपोवन में एक दिगम्बर मुनि पधारे हैं वे बड़े सिद्ध पुरुष हैं और महाज्ञानी हैं। तुम उनके पास जाओ और पूछो कि हमारे ये दु:ख के दिन और कब तक चलेंगे। इसका अंत कब होगा। बेटा घर से चला। पुराने समय की बात है, यातायात की सुविधा नहीं थी। वह पद यात्रा पर था। चलते-चलते सांझ हो गई। गाँव में किसी के घर रात्रि विश्राम करने रुक गया। सम्पन्न परिवार था। सुबह उठकर वह आगे की यात्रा पर चलने लगा तो घर की सेठानी ने पूछा - बेटा कहाँ जाते हो ? उसने अपनी यात्रा का कारण सेठानी को बताया। तो सेठानी ने कहा बेटा एक बात मुनिराज से मेरी भी पूछ आना कि मेरी यह इकलौती बेटी है, वह बोलती नहीं है। गूंगी है। वह कब तक बोलेगी ? तथा इसका विवाह किससे होगा ? उसने कहा ठीक है और वह आगे बढ़ गया। रास्ते में उसने एक और पड़ाव डाला। अबकी बार उसने एक संत की कुटिया में पड़ाव डाला था। विश्राम के पश्चात् जब वह चलने लगा तो उस संत ने भी पूछा कहाँ जा रहे हो ? उसने संत श्री को भी अपनी यात्रा का कारण बताया। संत