Posts

Showing posts from March 22, 2022

लस्सी पिलाकर मोटा कर सकते हैं, पशुपालक अपने पशुओं को।

Image
  लस्सी पिलाकर मोटा कर सकते हैं, पशुपालक अपने पशुओं को।  बहुत से पशुपालक अपने पशुओं को मोटा और रोगमुक्त रखने के तरीकों की तलाश करते रहते हैं। ऐसे में वे अपने पशु को लस्सी पिलाकर मोटा कर सकते हैं।    छोटा अखबार। ज़्यादातर पशुपालक अपने पशुओं को मोटा और रोगमुक्त करने के लिये अंग्रेजी दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आज हम आपके लिए पशुओं को मोटा करने का एक ऐसा उपाय ख़ोज कर लाएं हैं जिससे आपकी जेब से सिर्फ 5 से 10 रुपये ही जायेंगे और आपका पशु तंदरुस्त रहेगा।  किसान भाइयों छोटे जानवरों को लंबी भोजन अवधि की आवश्यकता होती है। वृद्ध जानवरों को मोटा होने के लिए कम समय मिलता है। पशु विशेषज्ञों का दावा है कि यदि आप अपने पशु को लस्सी पिलाते हैं, तो उसमे मौज़ूद पोषक तत्व पशुओं के वजन बढ़ाने के साथ—साथ उनके पेट की बीमारियों से भी निजात दिलाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि लस्सी में सफेद नमक बिल्कुल ना मिलाएं। लस्सी में सिर्फ काले नमक और सेंधा नमक मिला कर हीं अपने पशु को दें। इससे पशुओं में भूख बढ़ेगी और 90 दिनों में आपका पशु मोटा हो सकता है। 

हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए किसान करें लोबिया की खेती।

Image
  हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए किसान करें लोबिया की खेती।  किसान भाई गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए लोबिया की खेती कर सकते हैं। क्योंकि यह तेजी से बढ़ने वाली दलहनी चारा फसल है जो अधिक पौष्टिक और पाचक होती है। छोटा अखबार। सामान्यत: गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए किसान कई बार कटाई वाली फसल लगाते हैं। इसके लिए लोबिया एक बेहतर विकल्प है। इस फसल को लगाने से किसान हरे चारे की कमी से छुटकारा पा सकते हैं। यह एक तेजी से बढ़ने वाली दलहनी चारा फसल है। यह पौष्टिक और पाचक भी है और इससे पशुओं के दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होती हैं। इस फसल की सबसे अच्छी बात है कि यह खर-पतवार को नष्ट करके मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती है, जिससे किसान अगली फसल में लाभ ले सकते हैं। वहीं किसान भाई इसे खरीफ और जायद दोनो मौसम में उगा सकते हैं। ऐसे में यदि आप लोबिया की खेती करना चाहते हैं तो यह समय काफी अच्छा है। इसे आप मार्च के अंत तक लगा सकते हैं। इसके लिये आपको उन्नत किस्मों का ही चुनाव करना चाहिए। लोबिया की उन्नत किस्मों में सबसे ज्यादा प्रचलित कोहिनूर किस्म है।

कृषि वैज्ञानिकों ने प्याज की फसल के लिये जारी एडवाइजरी।

Image
 कृषि वैज्ञानिकों ने प्याज की फसल के लिये जारी एडवाइजरी।  कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह देते हुये कहा कि वे इन दिनों प्याज की खेती का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि इस समय प्याज में थ्रिप्स का आक्रमण और परपल ब्लोस रोग लगने की संभावना रहती है।   छोटा अखबार। मौसम को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह देते हुये कहा कि इस समय प्याज की फसल में थ्रिप्स का आक्रमण हो सकता है। उन्होने कहा कि किसान प्याज की फसल में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें और रोग के लक्षण अधिक पाए जाने पर आवश्यकतानुसार डाईथेन एम-45 / 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ के साथ मिलाकर छिड़काव करें।  उन्होने कहा कि आम और नींबू में पुष्पन के दौरान सिंचाई ना करें और होपर कीट की निगरानी करते रहें। टमाटर, मटर और बैंगन की फसलों में फलों को फल छेदक कीट से बचाव के लिए किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाएं। साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंश / 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं। यदि कीटों की संख्या अधिक हो

गोवर्धन परियोजना से किसानों को होगी अतिरिक्त आमदनी।

Image
  गोवर्धन परियोजना से किसानों को होगी अतिरिक्त आमदनी।   केन्द्र सरकार किसानों के लिये गोवर्धन परियोजना चलाने जा रही है। इस योजना के तहत गोबर और खेती के कचरे से जैविक खाद जैसे उत्पाद बनाएं जायेंगे। जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी।   छोटा अखबार। पशुपालन और डेयरी मंत्री परुषोत्तम रूपाला ने कहा कि सरकार किसानों के उत्थान हेतु  गोवर्धन परियोजना नामक एक बहु-एजेंसी फ्लैगशिप कार्यक्रम लागू कर रही है। इसके तहत पशु गोबर और कृषि अपशिष्ट का उपयोग करके जैविक उर्वरक और ईंधन बनाने का कार्य किया जायेगा। उन्होने कहा कि ये परियोजना गोबर और खेती के कचरे को कम्प्रेस्ड बायोगैस और जैविक उर्वरकों में परिवर्तित कर सकती हैं। इस परियोजना को विभिन्न योजनाओं के तहत ब्याज में सरकारी मदद देने का प्रावधान भी किया गया है। श्री रूपाला ने कहा कि कई राज्यों में सरकार की तरफ से गाय के गोबर की खरीद की जा रही है, लेकिन कई राज्यों में अभी भी गोबर खरीद की व्यवस्था नहीं बन पाई है। उन्होने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों से गाय के गोबर की खरीद की जिम्मेदारी राज्य सरकार की ही है। वहीं इस योजना से किसानों को खेती के अलावा अतिर