नाबालिग को जेल में नहीं रखा जा सकता है — सुप्रीम कोर्ट छोटा अखबार। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने कहा है कि किसी नाबालिग को जेल में या पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता है। साथ ही न्यायालय ने साफ किया कि किशोर न्याय बोर्ड मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता है। देश में सभी किशोर न्याय बोर्ड को किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की अक्षरश: भावना का पालन करना ही चाहिए। बच्चों के संरक्षण के लिए बने कानून की उपेक्षा किसी के द्वारा नहीं की जा सकती। कम से कम पुलिस के द्वारा तो बिल्कुल भी नहीं। न्यायालय ने यह बात उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली में नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में बच्चों को कथित रूप से पुलिस हिरासत में रखकर प्रताड़ित करने के मामले कही। समाचार सूत्रों के अनुसार न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बाल अधिकार संरक्षण आयोग को आरोपों की जांच करने के निर्देश भी दिये है। जवाब पेश करने के लिये कोर्ट ने तीन हफ़्तों का समय दिया है। कोर्ट ने किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 10 के तहत पुलिस द्वारा पकड़े गए बच्चे को विशेष किशोर पुलिस यूनिट या किसी नामित अ