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Fever:- "बुखार:— एक प्रकृति प्रदत्त सुरक्षाचक्र है"

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Fever:-  " बुखार:— एक प्रकृति प्रदत्त सुरक्षाचक्र है"    छोटा अखबार। प्रतिष्ठित डॉक्टरों की सलाह-लेकिन कुछ जिम्मेदारी , कुछ दिक्कतें डॉक्टरों और मरीजों की भी पिछले कुछ दिनों दो प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक अखबारों में दो प्रतिष्टित चिकित्सको के लेख पढ़ें , जिन  से मुझे वर्तमानं परिस्थितियों में डाक्टर , बीमार , जांच और इलाज पर आम लोगों की कुछ प्रतिक्रियाएं रं आप तक पहुंचाने का साहस हुआ। मैं जिन लेखों की बात कर रहा हूँ उनका शीर्षक है--"बुखार: एक प्रकृति प्रदत्त सुरक्षाचक्र है" तथा "बेअसर होती दवाएं एक नया संकट खड़ा कर सकती है"।   इन लेखों में एनटीबियोटिक दवायों के न्यूनतम उपयोग की सलाह दी है और इनके ज्यादा उपयोग से होने वाले नुकशान की ओर ध्यान आकृष्ठ किया है। एक लेख की जिस बात पर मुझे यह पंक्तियां लिखने के लिए प्रेरित किया वे है" बुखार उताराने की दवा लिवर को थोड़ा बहुत नुकसान हर हालत में पहुंचती है। इसलिए जहां तक सम्भव हो उनका न्यूनतम उपयोग कीजिये। आपका चिकित्सक यदि एंटीबायोटिक का सुझाव देता है तो उसका औचित्य पूछिये। याद रखिये कि जब आप चिकित्सक को

दूध के साथ बासी रोटी खाने से शुगर जड़ के खत्म हो जाता है

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 दूध के साथ बासी रोटी खाने से शुगर जड़ के खत्म हो जाता है छोटा अखबार। शुगर को ठीक करने में बासी रोटी आप के लिये वरदान साबित हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार यदि आप शुगर के मरीज हो तो आपको अपनी दिनचर्या में बासी रोटियों का उपयोग करना चाहिये।  वैध टीसी त्रिवेदी के अनुसार गेहू की बासी रोटियों में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है। साथ ही इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स मात्रा भी काफी कम होती है जो इसे शुगर के मरीजों के लिए एक सुपाच्य भोजन बनता है। दुसरी ओर इसके उपयोग से पाचन क्रिया सहित, ब्लड प्रेशर और वजन को भी नियंत्रण किया जा सकता है।  श्री त्रिवेदी का कहना है कि बासी रोटियां आपको कई रोगों से बचा सकती है। गेहू की बासी रोटियां नाश्ते के लिए पूरी तरह से एक सुरक्षित और स्वस्थ विकल्प है। ये बाजार में मिलने वाले रेडी-टू-मेक ओट्स और पोहा जैसे खाद्य पदार्थों से कहीं बेहतर है।  त्रिवेदी ने कहा कि बासी रोटी को खाने के लिए रोटी को गर्म नहीं करना चाहिए बल्कि ठन्डे दूध में रोटी को टुकड़े—टुकड़े करके डाल दे और दस से पन्द्रह मिनट बाद इसे खाना चाहिए। वहीं आप शुगर के मरीज नहीं है तो इसमें मीठा भी मिला सकते है। उन्हो

पत्रकार रखे अपने हृदय का खयाल।

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पत्रकार रखे अपने हृदय का खयाल। छोटा अखबार। 'सतपक्ष पत्रकार मंच'और इटरनल हॉस्पीटल के संयुक्त तत्वावधान में 'हाउ टू कीप योर हार्ट हैल्दी आफटर कोविड़' विषय पर एक प्रशिक्षण शाला का आयोजन हुआ। आयोजन में ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रेम रतन ने पत्रकारों को हृदय रोग की पहचान, कारण और निवारण संबंधी जानकारी प्रदान की। डॉ. रतन ने कहा की पत्रकार अपने हृदय का खयाल जरूर रखें। उन्होने इस दौरान आपतकाल में मरीज को बचाने के लिये गुर सिखाये और डमी के माध्यम से सीटीआर देने का सही तरीका भी। कार्यक्रम में कई पत्रकारों ने भाग लेकर हृदय को स्वस्थ रखने के गुर सीखे। 

इसरो का पहला मानव मिशन 2021 में

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इसरो का पहला मानव मिशन 2021 में छोटा अखबार। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख के सिवन ने वर्ष 2020 के पहले माह में अपने लक्ष्यों की घोषणा कर दी। सिवन का कहना है कि वर्ष 2020 में गगनयान प्रोजेक्ट के साथ चंद्रयान 3 प्रोजेक्ट पर भी कार्य हो रहा है। इसरो प्रमुख का यह भी कहना है कि गगनयान अंतरिक्ष में इसरो का पहला मानव मिशन होगा। इसके लिए भारतीय वायु सेना के चार पायलटों को चुन लिया गया हैं। उनकी ट्रेनिंग जनवरी के तीसरे सप्ताह से रूस में शुरू होगी। 15 अगस्त 2018 को लाल क़िले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि भारत जल्द ही अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने का प्रोग्राम लॉन्च करेगा इसके लिए 10 अरब करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। प्रधानमंत्री की इस घोषणा को जल्द पुरा करने के लिये इसरो ने 2020 से अपने प्रयोगों की गति बढ़ा दी है। आपको बत दें कि अंतरिक्ष में मानव मिशन की योजना पर इसरो वर्ष 2007 से ही कार्य कर रहा था। लेकिन बजट की कमी के चलते यह कार्य गति नहीं पकड़ सका। 2007 में इसरो के शक्तिशाली जीएसएलवी रॉकेट इंसानों को ले जाने वाले मॉड्यूल में सक्षम नहीं थे। इसरो क

भारत में चंद्रयान-3, लागत 250 करोड़ 

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भारत में चंद्रयान-3, लागत 250 करोड़  छोटा अखबार। नए साल की शुरुआत पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस करते हुए इसरो प्रमुख के। सिवन ने कहा कि चंद्रमा के लिए भारत के तीसरे मिशन से जुड़े सभी काम बड़े आराम से हो रहे हैं। सिवन ने पुष्टि की है कि चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 में लैंडर और रोवर होगा। उन्होंने कहा कि इस मिशन की लागत 250 करोड़ रुपये होगी। भारत ने सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर पानी की खोज करना था। अभी तक इस प्रकार का कोई मिशन नहीं हुआ था। इसरो ने 2008 में लॉन्च किए अपने पहले चंद्रयान मिशन के दौरान उम्मीद जताई थी कि बर्फ़ के रूप में चांद पर पानी मौजूद है।   सिवन ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "हम चंद्रयान-2 को लैंड नहीं करा पाए लेकिन हमने अच्छी प्रगति की। ऑर्बिटर अभी भी काम कर रहा है और वो अगले सात साल तक काम करेगा और विज्ञान से जुड़ा डाटा भेजेगा। चंद्रमा पर आज तक सिर्फ़ अमरीका, रूस और चीन ही लैंडिंग करा पाए हैं। चीन का चांगए-4 पिछले साल चंद्रमा की नहीं दिखने वाली सतह पर उतरा था। वहीं, इसरायल के बेरेशीट अंतरिक्षयान ने अप्

पुरुषों को पिता बनने से रोकेगा इंजेक्शन

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पुरुषों को पिता बनने से रोकेगा इंजेक्शन छोटा अखबार। भारतीय शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने दुनिया का पहला ऐसा इंजेक्शन बना लिया है, जो पुरुषों को पिता बनने से रोकेगा। इंजेक्शन 13 साल तक कॉन्ट्रासेप्टिव की तरह काम करेगा। शोधकर्ताओं को कहना है कि यह एक रिवर्सेवल दवा है यानी ज़रूरत पड़ने पर दूसरी दवा के ज़रिए पहले इंजेक्शन के प्रभाव को ख़त्म किया जा सकता है। आपके आस—पास हो रही किसी भी घटना के समाचार, फोटो और वीडियो हमें भेजे। ई—मेल या वॉट्सएप नम्बर—9414816824 पर! आपकी खबरों को दिखाया जायेगा। इंजेक्शन को इंडियन कांउसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने विकसित किया है। वैज्ञानिक डॉक्टर आरएस शर्मा के अनुसार क्लीनिकल ट्रायल के लिए 25- 45 आयु के पुरुषों को चुना गया। इस शोध के लिए ऐसे पुरुषों को चुना गया जो स्वस्थ थे और जिनके कम से कम दो बच्चे थे। ये वो पुरुष थे जो अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे और नसबंदी करना चाह रहे थे। इन पुरुषों के साथ-साथ उनकी पत्नियों के भी पूरे टेस्ट किए गए जैसे हिमोग्राम, अल्ट्रासाउंड आदि। इसमें 700 लोग क्लीनिकल ट्रायल के लिए आए और केवल 315 ट्रायल के मानदंडो पर खरे उ

यूएसबी कंडोम का प्रयोग कब

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यूएसबी कंडोम का प्रयोग कब जयपुर छोटा अखबार  ! सार्वजनिक जगहों पर बड़े पैमाने में उपलब्ध इन यूएसबी पोर्ट का इस्तेमाल साइबर अपराधी हमारे सबसे संवेदनशील डेटा को चुराने के लिए कर सकते हैं. इससे बचने के लिए बाज़ार में कथित यूएसबी डेटा ब्लॉकर्स लाए गए हैं, जिन्हें "यूएसबी कंडोम" का नाम दिया गया है! ये "कंडोम" वास्तविक कंडोम की तरह लेटेक्स नहीं होते हैं, लेकिन यह आपको सामान रूप से सुरक्षा प्रदान करते हैं! यह आपको 'जूस जैकिंग' से बचाते हैं!     'जूस जैकिंग' एक तरह का साइबर अटैक है, जिसमें सार्वजनिक यूएसबी पोर्ट के ज़रिए आपके मोबाइल को संक्रमित किया जाता है और आपके मोबाइल में मालवेयर इंस्टॉल कर दिया जाता है, जो आपकी निजी जानकारी को साइबर अपराधी तक पहुंचाने में सक्षम होते हैं! इस बारे में नवंबर के शुरुआती सप्ताह में ल्यूक सिसक ने चेतावनी दी थी. ल्यूक अमरीक में लॉस एंजिल्स काउंटी के अभियोजक के कार्यालाय में सहायक हैं! 'यूएसबी कंडोम' छोटे यूएसबी एडॉप्टर की तरह होते हैं, जिनमें इनपुट और आउटपुट पोर्ट होते हैं. यह एडॉप्टर मोबाइल को पावर सप्लाई तो करता है ले