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Showing posts from January 16, 2020

विद्यालयों में कृषि विज्ञान विषय अब होगा कृषि संकाय

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विद्यालयों में कृषि विज्ञान विषय अब होगा कृषि संकाय   छोटा अखबार। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में संचालित कृषि विज्ञान विषय को कृषि संकाय के रूप में संचालित किए जाने की स्वीेकृति जारी की गई है। राज्य के 398 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में संचालित कृषि विज्ञान विषय अब कृषि संकाय रूप में संचालित किया जाएगा। इस संबंध में माद्यमिक शिक्षा बोर्ड को भी निर्देश दिए गए हैं कि कृषि को एक विषय की बजाय संकाय रूप में से संचालित करने के लिए पाठ्यक्रम निर्धारण एवम अन्य आवश्यक कार्यवाही करें। कृषि संकाय रूप में 11 वीं का संचालन विद्यालयों में 2019-20 से प्रारम्भ होगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है। इसे विद्यालयों में संकाय रूप में संचालित करने से विद्यार्थीयों में कृषि विषय के प्रति और रुचि जाग्रत होगी। प्रदेश के युवाओं को कृषि रोजगार में अधिक अवसर मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लिए गए इस महत्वपूर्ण निर्णय के सकारात्मक परिणाम आएंगे। डीआईपीआर के प्रेस इनपुट के साथ

आरओ से स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान — एनजीटी

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आरओ से स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान — एनजीटी छोटा अखबार। एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार जिसमें कहा गया था कि अगर टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, तो एक आरओ सिस्टम उपयोगी नहीं होगा।आरओ प्यूरिफायर के उपयोग को विनियमित करने के लिए एनजीटी ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह जहां पानी में कुल घुलनशील ठोस (टीडीएस) प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से कम है। वहां पर प्रतिबंध लगाए और दूषित जल के प्रभावों के बारे में जनता को जागरूक करें। टीडीएस इनऑर्गेनिक सॉल्ट्स के साथ-साथ कार्बनिक पदार्थों की छोटी मात्रा से बना होता है। डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के अनुसार, 300 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे का टीडीएस स्तर अच्छा माना जाता है। जबकि 900 मिलीग्राम प्रति लीटर खराब वहीं 1200 मिलीग्राम से ऊपर अस्वीकार्य है। पर्यावरण मंत्रालय को बुधवार 15 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने  को  निर्देश दिया कि दो महीने में उन जगहों पर आरओ प्यूरीफायर को प्रतिबंधित करने की अधिसूचना जारी करे। जहां पानी में कुल घुलनशील ठोस प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से नीचे है। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की

फ़ार्मा कंपनियां डॉक्टरों को रिश्वत में लड़कियां उपलब्ध कराती हैं — प्रधानसेवक

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फ़ार्मा कंपनियां डॉक्टरों को रिश्वत में लड़कियां उपलब्ध कराती हैं — प्रधानसेवक   छोटा अखबार। डॉक्टरों के शीर्ष संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मंगलवार 14 जनवरी 2020 एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन आरोपों को साबित करें या माफ़ी मांगें। जिसमें उन्होंने कहा था कि शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं।अगर प्रधानमंत्री अपनी बात साबित नहीं कर पाते तो उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए।  प्रधानमंत्री के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आईएमए ने कहा कि मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार, नरेंद्र मोदी ने अपने एक बयान में कहा है कि शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं हैं। इस महीने की शुरुआत में शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कथित तौर पर एथिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस का ज़िक्र किया था। आईएमए ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि क्या सरकार के पास उन कंपनियों की जानकारी थी जो डॉक्टरों को लड़कियां उपलब्ध कराती हैं। और अगर थी तो उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक में बुलाने के