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Showing posts from March 5, 2020

देश की भलाई में महिलाएं छह बच्चे पैदा करें —मादुरो

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देश की भलाई में महिलाएं छह बच्चे पैदा करें —मादुरो छोटा अखबार। अपने देश की भलाई के लिए वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने महिलाओं को छह बच्चे पैदा करने का अनुरोध किया है। टीवी के एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं को बच्चे पैदा करना जारी रखना चाहिए। इस समय वेनेज़ुएला गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। वहीं देश में खाद्यान्न संकट भी छाया हुआ है। यूनिसेफ़ की रीपोर्ट के अनुसार साल 2013 से साल 2018 के बीच देश के कुल बच्चों में से 13 फ़ीसदी बच्चे कुपोषित पाए गए है। राष्ट्रपति ने टीवी कार्यक्रम के बीच कहा कि हर महिला के कम से कम छह बच्चे होने चाहिए। ईश्वर आपको अपना आशीर्वाद दे और आप छह लड़कों और लड़कियों को पैदा करें। दुसरी ओर विपक्ष के नेता ख़ुआन गोइदो के समर्थकों ने मादुरो के इस बयान पर नाराज़गी जाहिर की है। समर्थकों का कहना है कि अस्पताल काम नहीं कर रहे हैं। इंजेक्शन्स की कमी है। महिलाएं अपने बच्चों को अपना दूध नहीं पिला सकतीं क्योंकि वो ख़ुद कुपोषित हैं और बाहर से बेबी फूड ख़रीद पाना उनके लिए मुश्किल है। मादुरो और उनके समर्थक जो ऐसा कहते हैं, यह पूरी तरह उनकी मानसिक अनभि

राजस्थान नगरपालिका संशोधन विधेयक, 2020 पारित

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राजस्थान नगरपालिका संशोधन विधेयक, 2020 पारित छोटा अखबार। राज्य विधानसभा ने बुधवार को विधानसभा में राजस्थान नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित कर दिया हैै। स्वायत्त शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। संशोधन विधेयक चर्चा के पश्चात् इसे लाने के उद्देश्यों एवं कारणों को स्पष्ट करते हुए बताया कि राजस्थान नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2009 की तीन धाराओं में संशोधन राज्य निर्वाचन आयोग की पहल पर आयोग की शक्ति को मजबूत करने के लिए किया गया है। धारा 23 में ध्वनि विस्तारकों आदि के उपयोग पर निर्बंधनों के उल्लंघन पर जुर्माने को दो हजार से बढ़ाकर पांच हजार रुपए किया गया है। धारा 28 में किसी उम्मीदवार या उसके प्रस्तावक की ओर से नाम निर्देशन पत्र या शपथ पत्र इत्यादि में कोई मिथ्या सूचना देने या कोई सूचना छिपाने को दंडनीय अपराध बनाया गया है। धारा 31 में संशोधन कर किसी सदस्य के निर्वाचन के विरूद्ध निर्वाचन याचिका फाइल करने को स्पष्ट किया गया है। किसी सदस्य के विरूद्ध निर्वाचन याचिका किसी उम्मीदवार या निर्वाचक की ओर से फाइल की जा सकेगी।    धारीवाल ने बताया कि जोनल

कोरोना वायरस से आमजन भयभीत ना हो -मुख्यमंत्री

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कोरोना वायरस से आमजन भयभीत ना हो -मुख्यमंत्री छोटा अखबार। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह सजग एवं चौकस है। आमजन को इसको लेकर भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है इसकी रोकथाम में सरकार किसी प्रकार की कमी नहीं आने देगी।  गहलोत मुख्यमंत्री निवास पर एक उच्च स्तरीय बैठक में कोरोना वायरस से निपटने के लिए किए जा रहे इंतजामों की समीक्षा कर रहे थे। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इटली से आए विदेशी पर्यटकों के जिस समूह के दो सदस्यों के इस रोग से पीड़ित होने की बात सामने आई है। ये पर्यटक प्रदेश में जिन जिलों में गए हों वहां के कलक्टरों को एडवाइजरी जारी की जाए। साथ ही जिन होटलों में ये ठहरें हों उनके साथ सम्पर्क में आने वाले होटल स्टॉफ एवं अन्य लोगों की भी स्क्रीनिंग कराई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी व्यक्ति में इस रोग के लक्षण पाए जाते हैं तो स्क्रीनिंग के साथ ही उसे सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। इस संबंध में केन्द्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया जाए। गहलोत ने प्रदेशवासियों से भी

लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री

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लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री छोटा अखबार। करीब एक वर्ष पहले देश में लोकपाल की नियुक्ति हुई थी। लेकिन अब जाकर केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री समेत लोकसेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायत करने के लिए प्रारूप जारी किया है। नियमों के अनुसार मौजूदा या पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ यदि कोई शिकायत आती है तो उस पर जांच शुरु की जानी चाहिए या नहीं, इस मामले में लोकपाल की पूरी पीठ फैसला करेगी।मजे की बात यह की यदि बेंच शिकायत को खारिज कर देती है तो, खारिज करने का कारण बताने के लिये बेंच बाध्य नहीं है। लोकपाल अधिनियम की धारा 14(1)(ii) के अनुसार ऐसे मामले को निरस्त किए जाने के मामले में जांच के रिकॉर्ड को प्रकाशित नहीं किया जाएगा और ना ही किसी को मुहैया कराया जाएगा। दुसरी ओर केंद्रीय मंत्री या संसद के सदस्यों के खिलाफ मामला है तो इस मामले में लोकपाल के कम से कम तीन सदस्यों की बेंच फैसला करेगी। नियम और अधिनियम के अनुसार शिकायतकर्ताओं को गैर न्यायिक स्टैंप पेपर पर शपथ पत्र देना होगा। शपथ पत्र में दी गई जानकारी झूठी पाई जाती है तो एक साल तक की कैद और एक लाख रूपये तक जुर्माने का प्रावधान है। कार्मिक मंत