देश में अब नया बवाल, कारण ईसा मसीह

देश में अब नया बवाल, कारण ईसा मसीह


छोटा अखबार।
देश की राजनीति में र्धम को लेकर बवाल मचा हुआ है। यह बवाल कभी सबरीमला मंदिर तो कभी बाबाबुडनगिरी दरगाह पर मचा। लेकिन अब बारी है ईसा मसीह की। मामला कर्नाटक राज्य का है। बेंगलुरु से 65 किलोमीटर दूर कनकपुरा में ईसा मसीह की 114 फुट लंबी मूर्ति बनवाने के लिए 10 एकड़ ज़मीन देने का प्रस्ताव पूर्व सरकार में रखा था। लेकिन अब राज्य में हिंदू जागरण वेदिके नाम की दक्षिणपंथी संस्था मौजूदा बीजेपी सरकार से यह मांग कर रही है कि वो इस प्रस्ताव को वापस ले। हिंदू जागरण वेदिके के सदस्यों ने ईसा मसीह की प्रस्तावित मूर्ति के ख़िलाफ़ कनकपुरा में एक विशाल रैली का आयोजन भी किया।



कर्नाटक सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित मूर्ति को लेकर विवाद तब और बढ़ गया था जब इसके लिए 10 लाख की सस्ती दर पर ज़मीन देने वाले कांग्रेस विधायक डीके शिवकुमार का नाम मनी लॉन्ड्रिंग के एक कथित मामले में सामने आया। इस मामले में डीके पिछले साल अक्टूबर तक 50 दिन जेल में थे। डीके पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री थे और वो कनकपुरा से विधायक भी हैं। कनकपुरा रैली को खास बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कल्लडका प्रभाकर भट्ट को आगे किया है। लगभग दो दशक पहले कर्नाटक के तटीय ज़िलों को हिंदुत्व की अलख जगाने का श्रेय कल्लडका को ही दिया जाता है। 
90 के दशक में बेंगलुरु से कुछ दूर स्थित चिक्कामगलुरु में एक तरफ़ सूफ़ी दरगाह और दूसरी तरफ़ दत्तात्रेय पीठ विवाद का विषय बन गए थे। भाजपा का मानना था कि यहां दत्तात्रेय पीठ की जगह ज़्यादा थी इसलिए इसे दरगाह के सज्जादानशीन से प्रशासित नहीं होना चाहिए। भाजपा के इस अभियान का निर्णय कर्नाटक के पहाड़ी इलाक़े मालनाड में भगवाकरण के रूप में देखा गया। इससे भाजपा को चुनावों में भी काफ़ी फ़ायदा मिला।



ये बात भी सही है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने केरल स्थित सबरीमला मंदिर को लेकर कुछ ऐसी ही मुहिम छेड़ी थी लेकिन इससे पार्टी को चुनाव में कुछ ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 के अपने फ़ैसले में 10-50 साल की महिलाओं को सबरीमला के स्वामी अयप्पा मंदिर में प्रवेश की इजाज़त दे दी थी। 
इेसा मसीह का विवाद 25 दिसंबर 2019, क्रिसमस डे को उस वक़्त बढ़ गया जब शिवकुमार को कनकपुरा में एक पहाड़ी पर ईसा मसीह की मूर्ति की रेप्लिका लेकर शिलान्यास करते देखा गया। उस वक़्त ये सवाल उठने लगे कि उस सरकारी ज़मीन पर ऐसी मूर्ति कैसे बनाई जा सकती हैं जहां सिर्फ़ जानवरों को चारा खिलाने, अस्पताल खोलने या अन्य सार्वजनिक सुविधाएं शुरू करने की ही अनुमति है। 



शिवकुमार के अनुसार यहां के ईसाई इस जगह पर 100 साल से भी ज़्यादी समय से प्रार्थना करते आ रहे हैं। मैं कुछ साल पहले यहां आया था और मैंने देखा कि लोग प्रार्थना कर रहे हैं। मैंने उनसे कहा कि वो सरकारी ज़मीन पर प्रार्थना न करें बल्कि इसके लिए एक स्थायी मूर्ति बना लें। मैंने उन्हें क़ानूनी प्रक्रिया अपनाने का सुझाव दिया। और उस वक़्त क़ागज़ी कार्रवाई पूरी हो गई थी। तब राजस्व सचिव ने भी इस बारे में पूछताछ की थी क्योंकि उस 10 एकड़ की ज़मीन में ग्रेनाइट पत्थर थे। जब सस्ते दाम में ज़मीन ख़रीदने की बात हुई तब मामला कैबिनेट के सामने आया। मंदिर और धर्मशाला वगैरह बनाने के लिए ज़मीन ख़रीदने पर 10 फ़ीसदी छूट मिलने का प्रावधान है. उस वक़्त मैंने चेक से पैसे चुकाने की बात कही थी। जिस ज़मीन पर ग्रेनाइट से ईसा मसीह की यह मूर्ति बनाई जाएगी उसकी क़ीमत एक करोड़ बताई गई थी और शिवकुमार ने इसके लिए 10 लाख रुपये चुकाए थे।



राजस्व सचिव आर.अशोक ने इस बारे में बताया कि समस्या यह है कि मूर्ति बनाने का काम एक अनाधिकृत सड़क पर कुछ साल पहले ही शुरू कर दिया गया है। इसके लिए अनाधिकृत तरीक़े से बिजली की लाइनें ले ली गई हैं और अनाधिकृत ढंग से बोरवेल की खुदाई भी कर ली गई है। वहीं दूसारी ओर कल्लडका प्रभाकर भट्ट इस सम्बन्ध में  कहना है कि मुझे सबसे ज़्यादा दुख इस बात का है कि उन्होंने मुन्नेश्वर पहाड़ी पर क्रॉस रख दिया है। ये वो जगह है जहां मुनि पूजा होती है। क्या उन्हें ईसा मसीह की मूर्ति बनाने के लिए कोई और जगह नहीं मिली? वो हमें अपमानित करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? और सरकारी ज़मीन को धार्मिक मक़सद के लिए कैसे दिया जा सकता है? उनके इरादे क्या हैं?"



भट्ट का यह भी कहना है कि वो ईसाइयों की सेवा करके समाज सेवा करें। लेकिन वो हमारे हिंदू समाज में ऐसा क्यों कर रहे हैं? जो कुछ हो रहा है वो संविधान के ख़िलाफ़ है। उन्हें वो काम करना चाहिए जिसकी इजाज़त संविधान में हो। भट्ट ने कनकपुरा में आयोजित रैली में ईसा मसीह की मूर्ति के निर्माण में सहयोग देने की वजह से शिवकुमार को देशद्रोही बताया था। इस बारे में शिवकुमार का कहना है कि मैंने राम मंदिर बनवाया है, शिव मंदिर बनाया है और इसके अलावा सैकड़ों अन्य मंदिर बनवाए हैं। वो जो करना चाहते हैं, करने दीजिए। वो सरकार में हैं। ये मेरे निर्वाचन क्षेत्र का मुद्दा है और मैं ये उन लोगों के लिए कर रहा हूं जो बरसों से मेरा साथ देते आए हैं।


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