केन्द्र सरकार का लोकडाउन पर दौहरा चरित्र


केन्द्र सरकार का लोकडाउन पर दौहरा चरित्र


छोटा अखबार।
गुरूजी भटा खाये ओरों को परहेज बताएं कुछ इसी तरह हो रहा है देश में। एक तरफ पूरा देश और दुनिया कोरोना की महामारी को रोकने के लिए अनेक प्रकार के जतन कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने अपने महत्वाकांक्षी और विवादित- सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट- के लिए दिल्ली मास्टर प्लान में संशोधन को मंजूरी देते हुए नोटिफिकेशन जारी किया है।



दिल्ली के इस हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट के लिये केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने  20,000 करोड़ रुपये का बजट रखा है। महामारी के इस संकट से लड़ते हुए पूरे भारत में लॉकडाउन के बाद भी इस तरह के नोटिफिकेशन जारी करना सरकार की करनी और कथनी पर कई सवाल खड़े करती है। विवादित-सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक चार स्क्वायर किमी का क्षेत्र शामिल है। जिसमें कई ऐतिहासिक इमारतों का पुनर्निर्माण और पुनर्विकास किया जाएगा। वहीं पांच प्लॉटों के लिए लैंड यूज में संशोधन भी किया है। प्रोजेक्ट में वर्तमान संसद के पास में नया संसद भवन और प्रधानमंत्री के नये आवास बनाना प्रस्तावित है।



20 मार्च 2020 को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल दिल्ली-2021 के मास्टर प्लान और जोन-डी और जोन-सी के जोनल डेवलपमेंट प्लान जिसमें इंडिया गेट के बाहरी क्षेत्र पर प्लॉट नंबर 08 के लिए का क्षेत्र में प्रस्तावित संशोधनों पर दिल्ली विकास प्राधिकरण ने आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए थे। प्रस्तावित संशोधनों के संबंध में 1,292 आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए और डीडीए द्वारा गठित बोर्ड ऑफ इंक्वायरी एंड हियरिंग द्वारा इस पर विचार किया गया। बाद में केंद्र ने दिल्ली मास्टर प्लान 2021 और जोनल डेवलपमेंट प्लान में संशोधन करने का निर्णय लिया और नोटिफिकेशन जारी कर अब इसकी पुष्टि कर दी  है।



आप को बतादे कि इस नोटिफिकेशन के अनुसार नया संसद भवन एक त्रिकोणीय भूखंड के रूप में आएगा जो वर्तमान संसद के विपरीत प्लॉट नंबर 2 का क्षेत्र है। 9.5 एकड़ भूमि का ये क्षेत्र पहले‘जिला पार्क’ के लिए आवंटित किया गया था। पिछले साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में 2022 तक एक नए संसद के निर्माण की बात कही  थी।



वहीं दुसरी ओर वर्ष 2015 में तत्कालीन स्पीकर सुमित्रा महाजन ने तत्कालीन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम.वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर एक नया संसद भवन बनाने की मांग की थी। पत्र में लिखा कि वर्तमान इमारत की हालत ठीक नहीं है और यह कर्मचारियों, सुरक्षा, मीडिया आगंतुक और संसदीय गतिविधियों की बढ़ती मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं है संसद भवन को ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था।इसका निर्माण 1921 में शुरू हुआ और छह साल बाद पूरा हुआ था। इस में आजादी से पहले इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल हुआ करता था।


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