खिलाड़ी से भाजपा कप्तान बने नड्डा 

खिलाड़ी से भाजपा कप्तान बने नड्डा 


छोटा अखबार।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा सोमवार को निर्विरोध पार्टी के नए अध्यक्ष चुने गए। भाजपा के संगठनात्मक चुनाव के प्रभारी राधामोहन सिंह ने निर्वाचन की घोषणा की। नड्डा नामांकन की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद इकलौते उम्मीदवार बचे और उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। पिछले साल जून में नड्डा भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे। केन्द्र सरकार में गृह मंत्री का उत्तरदायित्व निभा रहे अमित शाह ने साढ़े पांच वर्षों तक भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाई। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और कई मुख्यमंत्रियों ने सोमवार को नामांकन की प्रक्रिया के दौरान नड्डा के नाम का प्रस्ताव किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने भाजपा मुख्यालय में नड्डा का अभिनंदन किया।



जगत प्रकाश नड्डा को राजनीतिक जीवन में उनके परिश्रम से ज़्यादा ही मिला है। उनका राजनीतिक उदय 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वंस मामले के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगे प्रतिबंध के बाद हुआ। उसके बाद ही उनके राजनीतिक स्वभाव में आक्रामकता देखने को मिलि। वर्ष 1993 में पहली बार विधायक बने। फिर एक साल में विपक्ष के नेता बन गए। दूसरी और तीसरी बार जीते तो हिमाचल सरकार में मंत्री बने। उसके बाद कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा और राज्यसभा के सदस्य बन गए। 



नड्डा साढ़े पाँच साल पहले भी अध्यक्ष पद की दौड़ में थे पर अमित शाह से मात खा गए। और फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल की शोभा बने। इस बार मोदी सरकार में जेपी नड्डा मंत्री नहीं बने। उससे मायूसी में थे। पर कुछ समय बाद ही उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया। उनकी वैचारिक निष्ठा और सबको साथ लेकर चलने की क्षमता पर किसी को कोई शक नहीं है। कोई काम लेकर जाए तो बातचीत से संतुष्ट होकर लौटता है। यह बात अलग है कि काम कभी होता नहीं। इसका शिकार नेता और कार्यकर्ता समान रूप से हैं। सवालों को टालने में माहिर हैं नड्डा। जानकारी सब होती है पर बताते कुछ नहीं। पत्रकारों से अच्छी दोस्ती रखते हैं। पर पार्टी की जानकारी देने में अमित शाह की ही तरह व्यवहार है। 


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