Rajasthan News: 2047 तक राजस्थान बनेगा विकसित राज्य, महिलाओं की रहेगी 60 प्रतिशत भागीदारी

Rajasthan News: 2047 तक राजस्थान बनेगा विकसित राज्य, महिलाओं की रहेगी 60 प्रतिशत भागीदारी 


छोटा अखबार।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार विकसित राजस्थान/2047 के संकल्प को लेकर कार्य कर रही है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में विकसित राजस्थान/2047 विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है। युवा, महिला, किसान और गरीब को ध्यान में रखते हुए यह दस्तावेज विकसित भारत/2047 की आंकाक्षाओं के अनुरूप राजस्थान का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित करेगा। गत अगस्त माह में सम्पन्न हुई राज्य मंत्रिमंडल की सभा में इस विजन डॉक्यूमेंट का अनुमोदन कर दिया गया था।

कृषि, उद्योग, पर्यटन और नवीकरणीय ऊर्जा बनेंगे विकास का प्रमुख आधार —

विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार कृषि, उद्योग, पर्यटन और नवीकरणीय ऊर्जा को प्रमुख आधार बनाया है। वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2047 तक 4.3 ट्रिलियन डॉलर बनाने की परिकल्पना की गई है। इस प्लान के मुताबिक प्रदेश में विकसित देशों की तर्ज पर सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। इसके साथ ही, शत-प्रतिशत साक्षरता, सुलभ स्वास्थ्य, सतत जल प्रबंधन, स्मार्ट शहरीकरण, पर्यावरण संरक्षण, युवा व महिला सशक्तीकरण के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में योजनाबद्ध रूप से कार्य किया जा रहा है। राज्य सरकार ने वर्ष 2047 के दूरगामी लक्ष्य को हासिल करने के लिए चरणबद्ध रूप से विकास की रूपरेखा बनाई है। इसके लिए वर्ष 2030, 2035 और 2040 के मध्यावधि लक्ष्य भी तय किए गए हैं। इस प्रकार विभिन्न चरणों में आकार लेते हुए राज्य के विकास की तस्वीर पूर्ण होगी।

4 थीम और 13 सेक्टर्स पर आधारित है विजन डॉक्यूमेंट —

विकास के इस दस्तावेज को प्रमुख रूप से 4 थीम्स और 13 सेक्टर्स में बांटा गया है। पहली थीम जन कल्याण एवं सामाजिक सशक्तीकरण पर आधारित है, जिसमें कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण को शामिल किया गया है। दूसरी थीम त्वरित विकास, समृद्धि व रोजगार सृजन पर आधारित है। जिसमें उद्योग, खनन और आर्थिक वृद्धि के साथ ही, पर्यटन व सांस्कृतिक विकास को जोड़ा गया है। डॉक्यूमेंट की तीसरी थीम भविष्य उन्मुख राजस्थान, आधारभूत अवसंरचना और सतत विकास पर आधारित है। इसमें आधारभूत विकास, जल सुरक्षा व अनुकूलता और पर्यावरण स्थायित्व व जलवायु अनुकूलता जैसे सेक्टर्स को समाहित किया गया है। इसका चौथा विषय नीति, वित्त और शासन के विजन को समेटे हुए हैं, जिसमें ग्रामीण और शहरी विकास, प्रभावी शासन व्यवस्था, सार्वजनिक सेवाएं और वित्तीय प्रबंधन व आर्थिक नीति को जोड़ा गया है।

विकसित देशों के पैरामीटर्स पर तय किए विकास लक्ष्य —

विजन डॉक्यूमेंट में राज्य के विकास लक्ष्य का आधार दुनिया के विकसित देशों के विभिन्न क्षेत्रों में हासिल पैरामीटर्स को माना गया है। उदाहरण के लिए जर्मनी का क्षेत्रफल और वहां की जनसंख्या राजस्थान के लगभग बराबर है। यदि जर्मनी के सकल राज्य मूल्य वर्धन में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी देखी जाए तो 2024 में वहां यह 19.7 प्रतिशत रही। राजस्थान ने भी वर्ष 2047 तक आर्थिक विकास को और अधिक गति देने के लिए राज्य के सकल राज्य मूल्य वर्धन में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। स्वास्थ्य एवं कल्याण के क्षेत्र की बात करें तो राज्य सरकार का लक्ष्य वर्ष 2047 तक प्रदेश के नागरिकों की जीवन प्रत्याशा 77 वर्ष तक पहुंचाना और शिशु मृत्यु दर प्रति 1 हजार शिशुओं पर 10 से नीचे लेकर आना है। इसी प्रकार शिक्षा प्रणाली को आधुनिक रूप देते हुए राज्य के प्रत्येक स्कूल में 100 प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित करना और विद्यालय को कम्प्यूटर युक्त स्मार्ट विद्यालय में विकसित करना है।

कार्यस्थलों पर महिलाओं की भागीदारी की जाएगी 60 प्रतिशत से अधिक —

राज्य सरकार सामाजिक सशक्तीकरण और समावेशन के लिए महिलाओं, युवाओं व वंचित समुदायों पर केन्द्रित नीतियों को आधार बनाते हुए राज्य को सामाजिक रूप से सशक्त राज्य बनाने की योजना पर कार्य कर रही है। पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर महिलाएं भी राज्य के विकास में अपना योगदान दे सकें, इसके लिए कार्यस्थलों पर महिलाओं की भागीदारी 60 प्रतिशत से अधिक करने का लक्ष्य तय किया गया है। राजस्थान में पर्यटन क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार हमारी प्राचीन धरोहरों के संरक्षण के साथ ही, प्रदेश को वैश्विक पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए कार्य कर रही है। सरकार की मंशा है कि देश में पर्यटकों के आवागमन में राज्य की भागीदारी 15 प्रतिशत कर राजस्थान को पर्यटन क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाया जाए।

इन सभी लक्ष्यों के क्रियान्वयन के लिए संबंधित विभागों द्वारा कार्ययोजना तैयार की गई है। कार्ययोजना का वित्तीय आवश्यकताओं के अनुसार हर वर्ष आंकलन किया जाएगा और सतत मॉनिटरिंग और मूल्यांकन कर फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा। इससे हर विभाग की तय लक्ष्य के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित होगी और विकास कार्य निर्बाध रूप से संपन्न हो सकेंगे।

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