Review on ERCP, a report:- ईआरसीपी पर समीक्षा, एक रिपोर्ट

Review on ERCP, a report:- ईआरसीपी पर समीक्षा, एक रिपोर्ट

 

छोटा अखबार।

मूर्ख को मूर्ख बनाना कत्तई गलत नहीं है। सौ-फीसदी सही है और यही केन्द्र सरकार राजस्थान वासियों के साथ कर रही है। ईआरसीपी योजना का जाल यह कह कर फेंका गया है कि इस योजना से राजस्थान के 13 जिलों की प्यास बुझेगी। इस योजना पर 45 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे लेकिन सांसद तथा केन्द्रीय जल संसाधन समिति के सदस्य भागीरथ चौधरी ने यह कह कर इसका रायता फैला दिया कि यह योजना 2051 तक जाकर पूरी होगी। मतलब कि इसे पूरा होने में 27 साल लग जाएंगे। अर्थात इसका लाभ 27 साल बाद मिलेगा उससे पहले नहीं। यह समाचार 30 जनवरी के दैनिक नवज्योति में प्रकाशित हुआ है।

अब यहां पहला प्रश्न यह है कि जन हित की बात करें तो मोदी जी ने इन 10 सालों में राजस्थान के लिए यह क्यों नहीं सोचा जो अब सोचा है। 27 साल बाद तक कौन जिंदा रहेगा और कौन स्वर्ग सिधार जाएगा यह कोई नहीं जानता। लोग अगर ऐसा सोच रहे हैं कि उन्हें पानी 2-4 सालों में मिल जाएगा तो वे मूर्ख ही नहीं बल्कि महामूर्ख हैं। केन्द्र और राजस्थान में भी 27 साल बाद किसकी सरकार रहेगी, यह भी कोई नहीं जानता। लेकिन चूंकि अब लोकसभा चुनाव आ गए हैं सो जनता को कोई न कोई लालीपाप देना ही था सो दे दिया। चूंकि अब राजस्थान में भी भाजपा सरकार है सो अखबारों में दबा कर विज्ञापन देकर पब्लिक को जम कर इस बात के लिए बेवकूफ बनाया जा रहा है कि देखो, जो कहा वह कर दिखाया। ईआरसीपी योजना की बाधाएं दूर हुईं। ( अब तक क्यों थीं ॽ क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी। ) गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भी यही कहा कि अब दोनों राज्यों में डबल इंजन सरकार है इसलिये कोई बाधा नहीं। यहां मतलब साफ है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार होने से परेशानी थी। अब कहा जा रहा है कि राजस्थान की एक तिहाई जनता को मिलेगा भरपूर पानी। प्रदेश में पेयजल उपलब्धता की शुरुआत। और भी पता नहीं क्या क्या घोषणाएं कर दी गई जो इन दिनों सरकारी विज्ञापनों में परोसी जा रही हैं।

भाई वाह, लोगों को बेवकूफ़ बनाना कोई इनसे सीखे। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की मध्यस्थता से राजस्थान और एमपी के बीच इसके लिए वित्तीय मंजूरी के लिए एमयूओ होना शेष है। इस योजना पर 45 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे और 5-6 साल में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। जबकि दूसरी ओर भागीरथ चौधरी ने कुछ और ही कहा है कि यह परियोजना 2051 तक जाकर पूरी होगी। अब गौर करें कि इन दोनों की बातों के अलग-अलग मायने हैं। गजेन्द्र सिंह शेखावत कह रहे हैं कि 4-5 साल में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा जबकि भागीरथ चौधरी कह रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट 2051 तक जाकर पूरा होगा। अब यहां कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ।

यहां भागीरथ चौधरी ने एक बात बहुत अच्छी रही कि उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का यही सपना था कि भारत की नदियों को एक-दूसरे से जोड दिया जाए तो देश में कहीं भी पानी की समस्या नहीं रहेगी। यह अच्छी बात है कि उन्होंने इसका श्रेय अटल बिहारी वाजपेई को दिया। भागीरथ चौधरी ने यह बात एक प्रेस कांफ्रेंस में कही। उन्होंने साफ कहा कि इससे दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान की पानी की आवश्यकता को पूरा किया जा सकेगा। अब इसे केन्द्र सरकार की लोकसभा चुनाव जीतने की शातिर चाल न कहें तो क्या कहें। + 27 सालों में इन 13 जिलों का आबादी घनत्व कितना बढ जाएगा सोचा है ॽ आज़ घोषित 45 हजार करोड़ रुपए का खर्च तब तक और कितना बढ जाएगा अंदाजा लगाया है ॽ लेकिन घोषणा करने में क्या जाता है, कर दी।

अब एक दूसरी बात कि अगर लोग नियमित अखबार पढ़ते हैं और खबरों की समझ रखते हैं तो याद करें अथवा तीन-चार सालों के लीडिंग न्यूज पेपर को खंगाल लें जिनमें यह समाचार मिल जाएंगे कि गहलोत सरकार ने कई मर्तबा केन्द्र सरकार से इसी की मांग की थी लेकिन कभी भी उस पर ग़ौर नहीं किया गया। वजह यह कि तब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी लेकिन चूंकि अब भाजपा सरकार है इसलिए मोदी जी ने पलक झपकते यह घोषणा कर दी, सिर्फ और सिर्फ इसलिए कि लोकसभा चुनाव में राजस्थान को मुट्ठी में किया जा सके क्योंकि यह साफ हो चुका है कि राजस्थान की जनता की अपर स्टोरी वेकेंट है ही उसे जैसा चाहो वैसा घुमाया जा सकता है। यह विधानसभा चुनाव में साफ हो गया।

अब जैसा कि एक तरफ गजेन्द्र सिंह शेखावत कुछ और बोल रहे हैं जबकि दूसरी ओर भागीरथ चौधरी कुछ और ही कह रहे हैं। चूंकि भागीरथ चौधरी उस समिति के सदस्य हैं इसलिए उनकी बात ज्यादा पुख्ता होगी। उनसे इस परियोजना की सच्चाई छिपी नहीं होगी। घोषणा हो गई, विज्ञापन छप गए, अब देखते जाओ यह कब होता है और होता भी है कि नहीं।

 (This article by Ashok sharma & Edited by Chhota Akhbar ) 



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