लुटाया जाएगा सरकारी खजाना, सरकार अब बताएगी सीता कौन थी?

लुटाया जाएगा सरकारी खजाना, सरकार अब बताएगी सीता कौन थी?


महेश झालानी
 वरिष्ठ पत्रकार 


छोटा अखबार।


बाई गॉड ! आज ही पता लगा कि कोरोना है


प्रदेश की जनता को दूरदर्शी और बुद्धिमान मुख्यमंत्री माननीय श्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त करना चाहिए जिन्होंने आज पूरे पेज के विज्ञापन के जारी कर लोगों को पहली बार बताया है कि प्रदेश कोरोना से पीड़ित है। प्रदेश की जनता को तत्काल प्रभाव से जागरूक करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को पद्म विभूषण से सम्मानित करना चाहिए।


राज्य सरकार द्वारा अपनी पब्लिसिटी के नाम पर खजाने को खाली किया जा रहा है । उपलब्धि के नाम पर रोज पेट्रोल-डीजल के दामो में इजाफा और बिजली की दरों में भारी वृद्धि । जनता को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने एक भी ऐसा कार्य नही किया गया है जिसे उपलब्धि की सूची में शामिल किया जाए । इसी कड़ी में आज से कोरोना जागरूकता अभियान के नाम पर सरकारी धन को स्वाहा करने का तमाशा प्रारम्भ किया जा रहा है।



देश की जनता पेट्रोल-डीजल के रोज बढ़ते भावों से कराह रही है । बिजली के बिल जमा कराने के लिए लोगो के पास पैसे नही है । ऐसे में राहत देने के बजाय केंद्र और प्रदेश की सरकार अपने बढ़ते घाटे की पूर्ति के लिए रोज जनता के सब्र का इम्तिहान ले रही है। ना केंद्र सरकार संवेदनशील है और ना ही अपने आपको संवेदनशील प्रचारित करने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत । जनता का गला कैसे दबोचा जाए, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों सक्रिय है ।
जब कभी केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाये जाते थे, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कड़े शब्दों में केंद्र की निंदा करते थे । लेकिन अब गहलोत खुद क्यो जनता पर कहर ढा रहे है, इस पर कोई कांग्रेसी छोड़ो निर्दलीय विधायक तक मुँह खोंलने को तैयार नही है । बड़े बड़े वादे करने वाले गहलोत ने पिछले साल फरवरी में बिजली के दामो में करीब दस फीसदी की बढ़ोतरी कर जनता के घावों पर निर्ममता से नमक छिड़क दिया ।



आम जनता को राहत देने के लिए प्रदेश सरकार का खजाना खाली है । लेकिन अपनी झूठी पब्लिसिटी के लिए सरकार के पास धन की कोई कमी नही है । सवाल यह है कि सरकार को आज जागरूकता अभियान के विज्ञापन पर करोड़ो रूपये फूंकने की क्या आवश्यकता थी ? तीन महीने तक जनता को घरों में कैद करने और सारा धंधा चौपट करने के बाद आज कोरोना के नाम पर जागरूकता की नोटंकी क्यो ? क्या जरूरत थी अखबार में पूरे पेज का विज्ञापन देने की ? गरीब जनता के साथ घिनोना मजाक नही है ?
सरकार के अफसरों के दिमाग का दीवाला तो बहुत पहले निकल चुका है । मंत्रीगण भी मूर्खतापूर्ण कदम उठाकर जनता के समक्ष अपनी हंसी उड़वा रहे है । पूरी रामायण खत्म होने के बाद पूछा जा रहा है कि सीता कौन थी । कमोबेश यही कोरोना जागरूकता अभियान की स्थिति है । सरकार की बेवकूफी का इससे बड़ा कोई उदाहरण हो ही नही सकता । 
मूर्खता का नमूना तो देखिए राज्य सरकार प्रदेश की जनता को तीन माह बाद बताएगी कि मास्क लगाना है, सोशल डिस्टेंसिंग रखनी है । 60 साल से ऊपर की आयु के लोगो को घर से बाहर नही निकलना चाहिए । आदि आदि । दरअसल यह कोरोना जागरूकता अभियान नही, वास्तव में लूटो, खसोटो अभियान है । सप्ताह भर तक झूठी पब्लिसिटी के अलावा पब्लिसिटी के नाम पर बैनर, होर्डिंग, पोस्टर, साइन बोर्ड आदि के फर्जी बिल बनाकर सरकारी खजाने में सेंध लगाई जाएगी ।
यदि मुख्यमंत्री वास्तव में संवेदनशील और जनता के ट्रस्टी है तो उन्हें तुरन्त इस अभियान को निरस्त कर अपनी समझदारी का परिचय देना चाहिए । वरना तीन साल बाद जनता गहलोत के साथ साथ कांग्रेस को भी सबक सिखा देगी । जनता के पैसों को इतनी बेरहमी से स्वाहा मत करिए । प्लीज..प्लीज....!



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