लॉकडाउन में आर्थिक तंगी और बेरोजगारी से पहली मौत


लॉकडाउन में आर्थिक तंगी और बेरोजगारी से पहली मौत


छोटा अखबार।
देश में कोविड 19 महामारी से उपजे लॉकडाउन में गुड़गांव के एक पेंटर ने आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के चलते फंदा लगाकर अपना जीवन समाप्त कर लिया है। देश में शायद ये पहला मामला है जो लौकडाउन के बीच आर्थिक तंगी और बेरोजगारी से मौत हुई है।



समाचार सूत्रों के अनुसार मृतक की पहचान 30 वर्षीय मुकेश कुमार के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि मुकेश ने गुरुवार को ढाई हजार रुपये में अपना मोबाइल बेचकर राशन और पंखा खरीदा था। 
वहीं दूसरी ओर पुलिस इस घटना को महज आत्महत्या बता रही है। मूलरूप से बिहार के बारां गांव निवासी मुकेश कुमार पेंटर का काम करता था। वह पिछले 8-10 साल से गुड़गांव में अपनी पत्नी पूनम व चार बच्चों के साथ सरस्वती कुंज स्थित झुग्गी में रह रहा था।


मुकेश की पत्नी पूनम का कहना है कि पिछले 4-5 महीने से वे बेरोजगार थे। परिवार चलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी का काम करता थे। इस कारण हम पर काफी कर्जा भी हो गया था। लॉकडाउन के बाद वह घर पर ही थे। काम न होने के कारण उनके पास पैसे भी नहीं थे। उन्हें उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खुल जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इस वजह से वे मानसिक तौर पर काफी परेशान थे।



पूनम का कहना है कि मुकेश ने गुरूवार को अपना मोबाइल किसी को ढाई हजार रुपये में बेच दिया और उन पैसों से राशन और बच्चों के लिए एक पंखा लेकर आया था। पत्नी पास ही की झुग्गी में रहने वाले अपने माता-पिता के पास गई, तो मुकेश ने पिछे से फांसी लगाकर अपना जीवन समाप्त कर लिया। सूचना मिलने पर सेक्टर-53 थाना पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शव का पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दिया। पुलिस ने मानसिक तौर पर परेशानी की वजह से मौत की वजह मानते हुए आईपीसी की धारा 174 के तहत कार्रवाई कर खानापूर्ति कर दी।
वहीं पीड़ित परिवार ने इस मौत को लेकर किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया, लेकिन उनका कहना है कि अगर उनके पास खाने का राशन होता, तो मुकेश जिंदा होता।


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