बेलूर मठ नरेंद्र मोदी से नाराज, उन्हें अनुमति नहीं कि वे यहां आएं 

बेलूर मठ नरेंद्र मोदी से नाराज, उन्हें अनुमति नहीं कि वे यहां आएं 


छोटा अखबार।
रामकृष्ण मिशन संस्था के कई सदस्यों ने मोदी के इस भाषण पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह एक अराजनीतिक संस्था है जहां सभी धर्म के लोग भाइयों की तरह रहते हैं। सूत्रों के अनुसार मिशन के सदस्य गौतम रॉय ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि रामकृष्ण मिशन के मंच से विवादित राजनीति संदेश दिए जा रहे हैं। रामकृष्ण मिशन एक अराजनीतिक संस्था है। मैं दो बातें स्पष्ट कर दूं। पहली रामकृष्ण मिशन में अभिषेक की एक विस्तृत और आधिकारिक प्रक्रिया है। मोदी का आधिकारिक तौर पर अभिषेक नहीं किया गया है। दूसरा उन्हें इसकी अनुमति नहीं है कि वे यहां आएं और राजनीतिक टिप्पणी करें। मेरा आंकलन ये है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े वरिष्ठ आध्यात्मिक नेताओं को शामिल करके पिछले कुछ सालों में रामकृष्ण मिशन का राजनीतिकरण कर दिया गया है।



प्रधानमंत्री मोदी ने 12 जनवरी 2020 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ में राष्ट्रीय युवा दिवस के दिन भाषण दिया था । अपने भाषण में मोदी ने कहा कि उनकी सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को वापस नहीं लेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि युवाओं के एक वर्ग को संशोधित नागरिकता कानून के बारे में गुमराह किया गया है। मोदी ने बेलूर मठ में जनसभा से कहा कि सीएए किसी की नागरिकता छीनने के बारे में नहीं है। यह नागरिकता देने के लिए है। आज राष्ट्रीय युवा दिवस पर मैं पश्चिम बंगाल पूर्वोत्तर के युवाओं को यह बताना चाहता हूं कि यह नागरिकता देने के लिए रातों-रात बना कानून नहीं है। हम सभी को यह पता होना चाहिए कि दुनिया के किसी भी देश, किसी भी धर्म का व्यक्ति जो भारत और उसके संविधान में यकीन रखता है। वह उचित प्रक्रिया के माध्यम से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। इसमें कोई समस्या नहीं है।



सूत्रों का यह भी कहना है कि मिशन के कुछ वरिष्ठ भिक्षुओं ने 11 रविवार 2020 को व्यस्तता का हवाला देते हुए भक्तों की एक निजी सभा में भाग नहीं लिया। इस बात को भिक्षुओं की नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है। कई शिष्यों ने एक पत्र भेजा था। जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री मोदी की बेलूर मठ यात्रा रद्द की जाए। पत्र में लिखा गया रामकृष्ण मिशन का छात्र होने के नाते मैं बेलूर मठ प्रशासन से गुजारिश कर रहा हूं कि नरेंद्र मोदी की यात्रा रद्द की जाए। पत्र में मोदी पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा गया कि रामकृष्ण सारदा और स्वामी विवेकानंद के स्थान पर एक ऐसे व्यक्ति को नहीं बुलाया जाना चाहिए जिसने लोगों के लिए समस्याएं खड़ी की हों।



रामकृष्ण मिशन के महासचिव स्वामी सुविरानंद ने संवाददाताओं से कहा कि रामकृष्ण मिशन प्रधानमंत्री के भाषण पर टिप्पणी नहीं करेगा। हम पूरी तरह अराजनीतिक संस्था हैं। हम सीएए पर प्रधानमंत्री के भाषण पर टिप्पणी नहीं कर सकते। हम अपना घर-बार छोड़ कर शाश्वत चीजों का जवाब देने यहां आए हैं। हम क्षणिक चीजों का जवाब नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि हम राजनीति से ऊपर हैं। हमारे लिए नरेंद्र मोदी भारत के नेता और ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की नेता हैं। साथ ही कहा कि हम एक संस्थान के तौर पर समग्र हैं जिसमें हिंदू, मुस्लिम, ईसाई धर्म के संन्यासी हैं। हम एक ही माता-पिता से जन्में भाइयों जैसे हैं।


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