आखिर किससे करें गुहार, अब तो सुनो सरकार


आखिर किससे करें गुहार, अब तो सुनो सरकार


छोटा अखबार।


मामला दौसा जिले के बांदीकुई का है जिसमें एक प्रवर्तन निरीक्षक पर ग्रामीणों के द्वारा न सिर्फ उपखंड अधिकारी बल्कि मंत्री स्तर के आदेशों की धज्जियां उड़ाने के आरोप लग रहे हैं। जिसमें सामने आ रहा है कि यह अधिकारी किस तरह से उच्चाधिकारियों को गुमराह करते हुए गरीबों को भूखा मरने को मजबूर कर रहा है।


कोरोना से निपटने के प्रयासों के साथ ही जिला प्रशासन द्वारा इसी कड़ी में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए, इसके भी प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन कुछ लापरवाह अधिकारियों की राशन डीलर्स के साथ मिलीभगत और मनमानी के कारण गरीबो को मिलने वाले राशन के गेहूं की बंदरबांट हो रही है।



पिछले दिनों धनावड ग्राम पंचायत के राशन डीलर रंगलाल मीणा द्वारा गेहूं लेने आए व्यक्ति के साथ मारपीट करने का मामला सामने आया था जिस पर कार्रवाई करते हुए उपखंड अधिकारी पिंकी मीणा ने प्रवर्तन निरीक्षक मनमोहन शर्मा को जांच करने भेजा तो इस लापरवाह अधिकारी ने बिना पूरे तथ्यों की जांच किए उपखंड अधिकारी तक को गलत रिपोर्ट इस तरह की पेश कर दी कि जिस व्यक्ति के साथ मारपीट हुई है वह किसी अन्य राशन कार्ड जो एनएफएसए में नहीं जुड़ा हुआ है, लेकर गेहूं लेने आया था जबकि पीड़ित का कहना है कि मैं मेरे स्वयं का राशन कार्ड लेकर ही गया था। इसके अलावा पिछले महीनों में भी इस डीलर ने  हमारे राशन कार्डों को अपने पास रखते हुए 1 महीने में दो-दो बार एंट्री करते हुए अनाज की हेराफेरी की है। वह आज भी अपने साथ हुए अन्याय को लेकर डीलर से लेकर प्रशासन तक को शामिल बताते हुए सरकार को कोस रहा है। 
बतादे कि यहां पर धनावड के झेडा वाली ढाणी व कोलवा की, खैर्या की ढाणी के डीलर्स के खिलाफ लोगों में आक्रोश के चलते उपखंड अधिकारी सहित डीएसओ, विभागीय सचिव व मंत्री तक को लिखित में शिकायतें पहुंची थी, खैर्या की ढाणी डीलर सरिता मीणा के पति जो दुकान पर रसद सामग्री बांटने का कार्य करता है के खिलाफ भी लोगों में विभिन्न अनियमितताओं की शिकायतें उच्च अधिकारियों को की गई थी।



इसके बाद राज्य उपभोक्ता हेल्पलाइन जयपुर से जिला रसद अधिकारी को नोटिस जारी किए गए तो उनके लिए डीएसओ ने भी प्रवर्तन निरीक्षक को जांच के लिए भेजा। इसमें भी जांच अधिकारी द्वारा पीड़ितों से किसी भी तरह की जानकारी नहीं करने व मात्र खानापूर्ति करने के चलते लोगों गड़बड़ी के अंदेशे से डीलर्स के साथ ही इस अधिकारी के ऊपर भी मिलीभगत और भ्रष्टाचार जैसे आरोप लगने लगे हैं। इन ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों को समय पर गेहूं न देना, नियत मात्रा से कम देना, किसी महीने का तो पूरा अनाज ही हड़प कर जाना, बीपीएल कार्ड धारकों को भी 2/— किलो में गेहूं देना व राशन धारकों के साथ आए दिन बदजबानी करने के आरोप ग्रामीणों के द्वारा लगाए जाते रहे हैं। लोगों का कहना है कि इन डीलर्स की जड़ें इतनी गहरी है कि बार-बार शिकायतें लिखित में करने के बावजूद भी आज तक ग्रामीणों को रिलीफ नहीं मिल पाई है। ऊपर से ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के संरक्षण के कारण इन डीलरों की मनमानी दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है और आम जनता सरकार के द्वारा दी जा रही योजनाओं के लाभ से वंचित रह रही है।



स्थानीय ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी, डीएसओ और मंत्री तक को लिखित में शिकायत  कर चुकने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने पर, अब चाहे मजबूरी में ही सही, क्षेत्रीय जनता ने उक्त डीलर्स और ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के कारनामों की जांच एसीबी व समकक्ष संस्थाओं से कराने की मांग उठाई हैं। यदि ऐसी संस्थाएं इन मामलों की जांच करेंगी तो निश्चित रूप से एक बड़ा घोटाला सामने आना तय है। 
अब ग्रामीणों ने न सिर्फ डीलर्स के खिलाफ उनके लाइसेंस निरस्त करते हुए बल्कि उनका सहयोग करने वाले इस भ्रष्ट अधिकारी को भी सस्पेंड करते हुए कठोर कार्रवाई करने की मांग उठाई है। इस बारे में जिला रसद अधिकारी प्रह्लाद मीणा ने कहा कि जांच के लिए अधिकारी को भेजा हुआ है आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। वहीं जिला कलेक्टर अविंचल चतुर्वेदी ने भी आवश्यक कार्रवाई करने की बात कही है।



क्षेत्र के लोगों का कहना है यहां पहले ही डीलर्स की मनमानी का बोलबाला है, ऊपर से यदि ऐसे अधिकारी यहां कार्यरत रहे तो निश्चित रूप से गरीबों का भूखा मरना तय है |


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