हाई कोर्ट का फैसला, अब अप्राकृतिक मैथुन भी मान्य

हाई कोर्ट का फैसला, अब अप्राकृतिक मैथुन भी मान्य

अशोक शर्मा 

छोटा अखबार।

अदालतों ने पहले महिलाओं को किसी भी गैर पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने की छूट दे दी और अब पुरुषों को अपनी पत्नी से अप्राकृतिक मैथुन करने को कानूनन मान्य क़रार दे दिया। यद्यपि प्राकृतिक और अप्राकृतिक मैथुन नाम इन्सान ने प्रतिपादित किया है, कुदरत ने शरीर की किसी भी क्रिया को इस तरह विभाजित नहीं किया, न ही कालान्तर में किसी ने इस पर ऊंगली उठाईं। खुजराहो के भित्ति चित्र इस बात के प्रमाण हैं। उनमें भी तथाकथित अप्राकृतिक मैथुन के कई भित्ति चित्र अंकित हैं। चूंकि वे प्राकृत हैं। लेकिन बाद में इन्हें इन्सानों ने ही उचित-अनुचित नाम से विभाजित कर दिया और अनेकानेक पाबंदियां लगा दीं। बाद में इसे कानूनन मान्य और अमान्य करार भी दे दिया गया। लेकिन अब खुद कानून ने इसे गैर कानूनी मानने से इन्कार कर दिया है। अब आगे क्या ॽ निकट भविष्य में वह भी साफ कर दिया जाएगा। अदालतों द्वारा निकट भविष्य में और भी कुछ जो छूट गया हो उसे भी करने का हक दिया जा सकता है।


यह बदलते परिवेश का सभ्य समाज है और इसमें अब कुछ भी असंभव नहीं। अगर विवाह के बाद पत्नी किसी गैर पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने के लिए स्वतंत्र है और पुरुष उस पर ऊंगली नहीं उठा सकता। फलतः वह ऐसा खुल कर करने भी लगी हैं तो ऐसे में कुछ भी असंभव नहीं।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की एकल पीठ ने हाल ही एक ऐसे ही मामले में फैसला दिया कि किसी भी पुरुष का अपनी पत्नी से अप्राकृतिक मैथुन करना गैर कानूनी नहीं है। न्यायमूर्ति आहलुवालिया की एकल पीठ ने जबलपुर की एक युवती द्वारा अपने पति पर लगाए गए ऐसे आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कानूनी रूप से विवाहित स्त्री से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध नहीं है। मनीष साहू की पत्नी ने उस पर अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए मामला पुलिस में दर्ज करा दिया था। बात कोर्ट पहुंची। वहां मनीष ने स्पष्ट किया कि वह 2019 में हुई शादी के बाद से ऐसा कई बार कर चुका है।

न्यायमूर्ति आहलुवालिया की एकल पीठ ने कहा कि इस पर और अधिक विचार करने की आवश्यकता नहीं है। अगर एक वैध पत्नी विवाह के बाद अपने पति के साथ रह रही है जो कि 15 साल की उम्र से कम की नहीं है, से किसी भी किस्म का यौन संबंध दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह कहते हुए इस मामले को खारिज कर दिया कि ऐसे में पत्नी की सहमति कोई मायने नहीं रखती। अगर पत्नी 15 वर्ष की आयु से अधिक हो तो उससे अप्राकृतिक यौन संबंध बलात्कार नहीं है भले ही वह उसकी सहमति के बगैर किया गया है।

यहां हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि आम तौर पर पति-पत्नी के बीच यौन संबंध एक सुखी वैवाहिक जीवन की कुंजी है और इसे संतानोत्पत्ति की सीमा तक सीमित नहीं किया जा सकता। वैसे भी आईपीसी की धारा 375 के तहत पति द्वारा पत्नी के किसी भी हिस्से में पेनिट्रेशन को अपराध नहीं माना गया है।

इससे पहले 2021 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी ऐसे ही एक मामले में फैसला दिया था कि पति द्वारा पत्नी से जबरदस्ती बनाया गया शारीरिक संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आएगा। किसी भी पति द्वारा अपनी पत्नी से किसी भी तरह की यौन क्रिया बलात्कार नहीं है, बस पत्नी की उम्र 18 साल से अधिक हो।

ऐसे ही एक अन्य मामले में 2023 में भोपाल में ही अदालत ने एक फैसला सुनाया था कि पति-पत्नी के बीच यौन संबंधों में कुछ भी अन-नेचुरल नहीं है। अतः इसे वैवाहिक बलात्कार नहीं माना जा सकता क्योंकि वैवाहिक संबंध सिर्फ संतानोत्पत्ति के लिए नहीं है।

उल्लेखनीय है कि कभी यह सब अपराध की श्रेणी में आता था और ऐसे केस में सजा का प्रावधान भी था लेकिन अब बदलते सामाजिक परिवेश में ज़माने के बदलते नजरिए के साथ बहुत-कुछ बदलता जा रहा है। आगे और क्या-क्या बदलेगा यह वक्त बताएगा। फ़िलहाल एक सच्चाई यह कि आधुनिक जीवन शैली जीने वाले लोगों में यह आम है। हाई-फाई घरानों का क्लब कल्चर यह पसंद भी करता है। अपने लाइफ़ पार्टनर से भी और गैर पुरुष से भी। वे इसे खुल कर एन्जोय करते हैं और इस पर खुल कर चर्चा भी करते हैं। इसे लेकर पिस रहा है तो सिर्फ मध्य वर्ग जो चोरी-छिपे यह सब करता है, करना चाहता है लेकिन शराफ़त की चादर ओढ़े इसे ग़लत कह कर कुढ़ता रहता है। यद्यपि अमूमन विवाहित युवतियां अपने पति से यह करने से कतराती हैं लेकिन अपने प्रेमी के साथ इसका पूरा आनंद लेती हैं। विषय बोल्ड है लेकिन तथ्य-परक है जिसे जानने, समझने और स्वीकार करने की जरूरत है। इससे मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।

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