लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री
लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री छोटा अखबार। करीब एक वर्ष पहले देश में लोकपाल की नियुक्ति हुई थी। लेकिन अब जाकर केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री समेत लोकसेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायत करने के लिए प्रारूप जारी किया है। नियमों के अनुसार मौजूदा या पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ यदि कोई शिकायत आती है तो उस पर जांच शुरु की जानी चाहिए या नहीं, इस मामले में लोकपाल की पूरी पीठ फैसला करेगी।मजे की बात यह की यदि बेंच शिकायत को खारिज कर देती है तो, खारिज करने का कारण बताने के लिये बेंच बाध्य नहीं है। लोकपाल अधिनियम की धारा 14(1)(ii) के अनुसार ऐसे मामले को निरस्त किए जाने के मामले में जांच के रिकॉर्ड को प्रकाशित नहीं किया जाएगा और ना ही किसी को मुहैया कराया जाएगा। दुसरी ओर केंद्रीय मंत्री या संसद के सदस्यों के खिलाफ मामला है तो इस मामले में लोकपाल के कम से कम तीन सदस्यों की बेंच फैसला करेगी। नियम और अधिनियम के अनुसार शिकायतकर्ताओं को गैर न्यायिक स्टैंप पेपर पर शपथ पत्र देना होगा। शपथ पत्र में दी गई जानकारी झूठी पाई जाती है तो एक साल तक की कैद और एक लाख रूपये तक जुर्माने का प्रावधान है। कार्मिक मंत