वित्त वर्ष 2020-21 के बजट पर खास रिपोर्ट


वित्त वर्ष 2020-21 के बजट पर खास रिपोर्ट


छोटा अखबार।
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने दो घंटे 41 मिनट के भाषण में दीनानाथ कौल की कश्मीरी कविता, तमिल में तिरुवल्लुवर और संस्कृत में कालिदास के उदाहरण भी सुनने को मिला और इतिहास पर ज्ञान भी। साथ ही पता चला कि सिंधु सभ्यता से भी व्यापार की प्रेरणा ली जा सकती है।
बजट से पहले सबके मन में यही उम्मीद थी कि बजट में आवाम को बहुत कुछ मिलेगा। आशावादी लोग कुछ ऐसी धमाकेदार घोषणा सुनने की तैयारी में थे जिनसे अर्थव्यवस्था की तस्वीर ही बदल जाएगी। इनकम टैक्स में विकल्प दे दिया गया है कि आप चाहें तो टैक्स पर मिलने वाली छूट को त्याग दें और बदले में क़रीब पांच फ़ीसदी कम टैक्स भरें।
ये चुनाव भी आपको ही करना है, लेकिन पंद्रह लाख रुपए से ऊपर की कमाई पर टैक्स का रेट भी नहीं बदलेगा। इसलिए ऐसी उम्मीद नहीं है कि सबसे ज्यादा रेट पर टैक्स भरनेवाले यानी टॉप टैक्स ब्रैकेट वाले लोगों में से कोई इस तरफ़ झुकेगा।



किसान के लिये खास
केंद्र सरकार प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान (पीएम कुसुम) योजना के तहत 20 लाख किसानों को सिंचाई के लिए सोलर पंप लगाने में मदद करेगी। इसके अलावा कृषि उत्पादों के लिए कृषि उड़ान नाम से एक नई योजना लॉन्च की जाएगी।
इस साल के लिए कृषि लोन का बजट बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है। वहीं किसानों के नाम पर रेल मंत्रालय ‘किसान रेल’ नाम से एक नई ट्रेन चलाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश करते हुए किसानों के लिए इन कुछ नए योजनाओं की घोषणा की है।किसानों की मदद के लिए 16 सूत्रीय प्लान
निर्मला सीतारमण ने घोषणा किया कि किसानों के लिए कुल 16 सूत्रीय प्लान तैयार किया गया है। धीरे-धीरे इसके बारे में पूरी जानकारी सामने आएगी। हालांकि मुख्य रूप से ये प्लान जल-संकटग्रस्त क्षेत्र या परती भूमि के किसानों की मदद करना है। वित्त मंत्री के भाषण में इस काम के लिए उचित बजट आवंटन के बजाया ‘शब्दों के जरिए प्रोत्साहन देने’ पर ज्यादा जोर है।


कृषि से जुड़ीं मुख्य बातें कुछ इस प्रकार से हैं:—


1. मॉडल कृषि भूमि लीजिंग अधिनियम, मॉडल कृषि उत्पादन और विपणन अधिनियम, 
   मॉडल कृषि पशुधन सुविधा अधिनियम 2015 बनाने वाले राज्यों को प्रोत्साहित करने की 
   योजना।
2. कुसुम योजना का दायरा बढ़ाकर इसे 20 लाख किसानों तक पहुंचाने की योजना। इसके 
   तहत किसानों को सिंचाई के लिए सोलर पंप लगाने में मदद किया जाएगा।
3. वेयरहाउसेस की जीओ टैगिंग की जाएगी। उर्वरकों का इस्तेमाल कम करने पर जोर दिया 
   जाएगा।


सीतारमण ने कहा कि उनकी सरकार इस साल मुख्य रूप से तीन बिंदुओं- महत्वाकांक्षी भारत, आर्थिक विकास और देखभाल करने वाला समाज- पर काम करने वाली है। महत्वाकांक्षी भारत या एस्पिरेशनल इंडिया वाली श्रेणी में कृषि और जल संसाधन को प्रमुख स्थान दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए कहा कि 2014-19 के दौरान औसत वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत से अधिक रही। इस दौरान औसत मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रही।
उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और केंद्र सरकार का कर्ज घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 48.7 प्रतिशत पर आ गया है। यह मार्च, 2014 में 52.2 प्रतिशत था। सीतारमण ने अपने बजट भाषण कई कल्याण योजनाओं मसलन सस्ता घर, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) और आयुष्मान भारत का जिक्र किया। वित्त मंत्री ने एक नई सरलीकृत कर व्यवस्था पेश की जिसके तहत 5 लाख तक सालाना आय वालों को कोई आयकर नहीं देना होगा। 5-7.5 लाख कमाने वालों को 20 फीसदी की बजाय 10 फीसदी, 7.5-10 फीसदी आय वर्ग वालों को 20 फीसदी की बजाय 15 फीसदी और 10-12.5 आय वर्ग वालों को 30 फीसदी की बजाय 20 फीसद कर देना होगा। वहीं, 12.5 से 15 लाख सालाना आय पर 25 फीसदी आयकर देना होगा. 15 लाख रुपए से अधिक की सालाना आय पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा।



एलआईसी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होगी
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराया जाएगा। आईपीओ के जरिए सरकार का अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव।आईडीबीआई बैंक में अपनी बची हिस्सेदारी को निजी खुदरा निवेशकों को बेचेगी सरकार। एनबीएफसी संकट और पीएमसी बैंक के संकट को देखते हुए बैंकों में जमाकर्ताओं के लिए ‘जमा बीमा सुरक्षा’ एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया। एक तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था गंभीर आर्थिक सुस्ती की दौर से गुजर रही है। वहीं दूसरी तरफ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि मौजूदा ट्रेंड्स के आधार पर वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 10 फीसदी की दर से जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। वहीं सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा 3.8 फीसदी और 2020-21 के लिए 3.5 का अनुमान लगाया है।
वित्त मंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए 30,700 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की। भारत के वृद्धि दर के आंकड़ों पर विवाद के संबंध में वित्त मंत्री ने कहा कि आधिकारिक आंकड़ों के प्रस्तावित नई नीति के तहत नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
10 लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों को स्वच्छ हवा के लिए 4400 करोड़ रुपये मिलेंगे। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय इसके मानक तय करेगा। मानक से अधिक धुआं निकलने पर पुराने थर्मल प्लांटों और उनकी इकाइयों को बंद करने की सलाह दी जाएगी। उस जमीन का वैकल्पिक इस्तेमाल किया जाएगा। भारत के शिक्षा मंत्रालय को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 99,300 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है जो कि पिछले साल की तुलना में थोड़ा अधिक है। वित्त वर्ष 2019-20 में शिक्षा मंत्रालय का बजट 94,853 करोड़ रुपये था। एशियाई और अफ्रीकी देशों के लिए इंड-सैट परीक्षा की घोषणा की है जिसका उद्देश्य भारत को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बनाना है।
सरकार इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को शहरी स्थानीय निकायों में एक महीने का इंटर्नशिप देगी। यह छात्रों के साथ ही शहरी स्थानीय निकायों की योजनाओं को भी बेहतर बनाने में मदद करेगा। हालांकि इंटर्नशिप के पेड या अनपेड की कोई जानकारी नहीं दी गई।


भारतीय रेलवे के लिए पांच घोषणाएं।
1. रेलवे के स्वामित्व वाली भूमि पर पटरियों के साथ-साथ एक बड़ी सौर ऊर्जा चालित क्षमता 
   स्थापित करना।
2. नई ट्रेनों के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल।
3. अभूतपूर्व डिजाइनों के साथ अधिक ट्रेनें
4. 148 किमी का बेंगुलुरु उपनगरीय ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट


सरकार ने इस साल के लिए स्वच्छ भारत अभियान को 12,300 करोड़ रुपये का बजट दिया है। ये राशि पिछले साल दिए गए बजट से कम है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 12,750 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था। यह आंकड़ा कम हो सकता है क्योंकि केंद्र का मानना है कि स्वच्छ भारत मिशन ने अपने कई लक्ष्य हासिल किए हैं, हालांकि क्या वास्तव में ऐसा हुआ है? वहीं जल जीवन मिशन को 11,500 करोड़ रुपये दिया गया है।


किसानों की मदद के लिए 16 सूत्रीय प्लान
निर्मला सीतारमण ने घोषणा किया कि किसानों के लिए कुल 16 सूत्रीय प्लान तैयार किया गया है। धीरे-धीरे इसके बारे में पूरी जानकारी सामने आएगी। हालांकि मुख्य रूप से ये प्लान जल-संकटग्रस्त क्षेत्र या परती भूमि के किसानों की मदद करना है। वित्त मंत्री के भाषण में इस काम के लिए उचित बजट आवंटन के बजाया ‘शब्दों के जरिए प्रोत्साहन देने’ पर ज्यादा जोर है।
महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए 28,600 करोड़ रुपये आवंटित
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष 2020-2021 में महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए 28,600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।


केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के लिए 28,600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह काफी अस्पष्ट है क्योंकि हमें नहीं पता कि किन-किन योजनाओं में यह पैसा जाएगा। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए पोषण आहार योजनाओं के लिए 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
सीतारमण ने कहा कि पोषण मां के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। ये बच्चों के लिए भी अहम है आंगनवाड़ी सेविकाएं स्मार्टफोन के जरिए पोषण की स्थिति बताती हैं। पोषण अभियान के जरिए छह लाख से ज्यादा सेविकाएं इस काम में लगी हैं।


बैंकों में जमा धनराशि पर गांरटी बढ़ाकर पांच लाख रुपये की 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि बैंकों में जमा धनराशि पर गारंटी बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी गई है। पहले यह गारंटी एक लाख रुपये तक थी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020-2021 का बजट पेश करते हुए कहा कि कर संग्रह में उछाल आने की संभावना है।
सरकार आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचेगी
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी को शेयर बाजार के जरिए बेचा जाएगा।


खाद्य सब्सिडी में कटौती 
केंद्र सरकार ने खाद्य सब्सिडी के बजट में पिछले साल के मुकाबले करीब 70,000 करोड़ रुपये की कटौती की है। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र की सुरक्षा का बजट बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 115569.68 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। जबकि पिछले बजट में इसी योजना के लिए 184220 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के बजट को भी कम करके 108688.35 करोड़ रुपये कर दिया है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि गरीब वर्ग के लिए बेहद महत्वपूर्ण योजना को सही से लागू नहीं किया जा रहा है। इसे लेकर खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर काम कर रहे कई कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत खाद्य सामग्रियों पर सब्सिडी दी जाती है और सस्ते दाम पर लोगों को राशन दिए जाते हैं.।अब इस योजना का बजट कम करने से आम लोगों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।


बतादें कि वैश्विक भुखमरी सूचकांक यानी ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) में दुनिया के 117 देशों में भारत 102वें स्थान पर रहा है। यह जानकारी साल 2019 के इंडेक्स में सामने आई है। इस इंडेक्स में यह भी देखा जाता है कि देश की कितनी जनसंख्या को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल रहा है। यानी देश के कितने लोग कुपोषण के शिकार हैं। हालांकि ऐसी स्थिति होने के बावजूद साल 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि लगातार बढ़ रही खाद्य सब्सिडी पर विचार करने की जरूरत है। साल 2013 में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लाया गया था।सर्वे के मुताबिक, इस कानून के तहत खाद्य सब्सिडी राशि 2014-15 में 113171.2 करोड़ रुपये से बढ़ कर 2018-19 में 171127.5 करोड़ रुपये हो गया है। आर्थिक सर्वे में कहा गया कि कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा करने की जरूरत है लेकिन बढ़ते खाद्य सब्सिडी राशि पर विचार किया जाना चाहिए।


वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री की सुरक्षा के बजट में काफी इजाफा हुआ है। विशेष सुरक्षा दल (एसपीजी) का बजट पिछले साल 535.45 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 592.55 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस समय देश में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एसपीजी के जरिए सुरक्षा दी जाती है



गंगा सफाई के बजट में 50 फीसदी की कटौती
गंगा सफाई मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक रही है। लेकिन इसे लागू करने की खराब स्थिति के चलते सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए इसके बजट में करीब 50 फीसदी की कटौती की है। इसके अलावा घाटों के सौंदर्यीकरण की योजना के बजट को करीब-करीब खत्म कर दिया गया है। पिछले साल जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय (अब जल शक्ति मंत्रालय) को राष्ट्रीय गंगा नीति के लिए 700 करोड़ रुपये और घाटों के सौंदर्यीकरण के लिए 50 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। हालांकि बीते शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष (2019-20) के लिए राष्ट्रीय गंगा नीति का बजट करीब 50 फीसदी घटाकर 353.40 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वहीं रिवरफ्रंट के सौंदर्यीकरण के लिए घाट के कामों का बजट घटाकर सिर्फ दो लाख रुपये कर दिया गया है।वित्त वर्ष 2020-21 के लिए गंगा सफाई का बजट बढ़ाकर 800 करोड़ रुपये कर दिया गया है। पिछले साल इस दिशा में सही से खर्च नहीं होने के कारण इस राशि के खर्च को लेकर संदेह है। इससे पहले नमामी गंगे के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में 2250 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। लेकिन सरकार इसमें से सिर्फ 687.50 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई। शायद इसी वजह से वित्त वर्ष 2020-21 के लिए रिवरफ्रंट के सौंदर्यीकरण का बजट सिर्फ एक लाख रुपये रखा गया है।
जल शक्ति मंत्रालय के अन्य प्रमुख योजनाओं के बजट में भी कटौती की गई है। मंत्रालय के बड़े सिंचाई परियोजनाओं के लिए पिछले साल 209.38 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। हालांकि इसे संशोधित करके अब 123.01 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस परियोजना के तहत फरक्का बराज प्रोजेक्ट तथा बांध पुनर्वास और सुधार कार्यक्रम जैसी प्रमुख योजनाएं आती हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के बजट में करीब 30 फीसदी की कटौती की गई है। पिछले साल इसके लिए 1220 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। लेकिन वित्त 2020-21 में इस योजना का बजट घटाकर 840 करोड़ रुपये कर दिया गया है। नदी बेसिन प्रबंधन के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था जिसे कम करके 161.54 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वहीं मोदी सरकार की बहुप्रचारित महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-हर खेत को पानी योजना का भी यही हाल है। पिछले साल के मुताबले वित्त वर्ष 2020-21 के लिए इसका बजट 1069.55 करोड़ रुपये से घटाकर 1050.50 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस योजना के तहत महत्वपूर्ण प्रभाव आंकलन अध्ययन के लिए एक करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। लेकिन इतनी भी राशि खर्च नहीं कर पाने की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष के लिए इसे घटाकर 60 लाख रुपये कर दिया गया है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आवंटन पिछले साल के बराबर एक करोड़ रुपये ही है। हाल ही में लॉन्च किए गए अटल भूजल योजना के लिए जल शक्ति मंत्रालय को 200 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत नाबार्ड द्वारा राज्यों को लोन पर ब्याज में राहत वाली योजना का बजट वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 360 करोड़ रुपये था। लेकिन अब इसे घटाकर 241.26 करोड़ रुपये कर दिया गया है. वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भी इसमें कटौती की गई है और इसका बजट 300 करोड़ रुपये ही रखा गया है।अब वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भी सरकार ने फंडिंग में कटौती की है और योजना के लिए 400 करोड़ रुपये का ही बजट रखा है।
साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना मोदी सरकार की महत्वाकंक्षी लक्ष्यों में से एक है। इसके लिए सरकार ने पिछले कुछ सालों में कई बड़ी योजनाओं को लॉन्च किया था। हालांकि इनके लागू होने की खराब स्थिति के चलते सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए इन योजनाओं के बजट (संशोधित अनुमान) में भारी कटौती की है।



कृषि मंत्रालय की महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 75,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। हालांकि शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश गए बजट के मुताबिक सरकार ने इस योजना की फंडिंग या संशोधित अनुमान (रिवाइज्ड एस्टिमेट या आरई) को घटाकर 54370.15 करोड़ रुपये कर दिया है।
आज अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने जल संरक्षण के तहत सिंचाई के लिए माइक्रो इरिगेशन की तकनीकि पर जोर देने की बात की। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध है। आर्थिक सर्वेक्षण, 2019-20 में भी सरकार से कहा गया है कि वे सिंचाई के लिए किसानों के बीच माइक्रो इरिगेशन को बढ़ावा दें।
आंकड़ों से पता चलता है कि इस योजना को भी सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है और बजट में आंवटित राशि के मुकाबले काफी कम खर्च हो पा रहा है। माइक्रो इरिगेशन के लिए कृषि मंत्रालय की ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ के लिए पिछले साल के बजट में 3500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। सरकार ने तिलहन और कोपरा की खरीदी के लिए लाई गई प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना (पीएम-आशा), किसानों को पेंशन देने के लिए लाई गई प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना, बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य समर्थन योजना (एमआईएस-पीएसएस), परंपरागत कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता पर राष्ट्रीय परियोजना, बागवानी पर राष्ट्रीय मिशन, कृषि मार्केटिंग पर एकीकृत योजना, राष्ट्रीय बांस मिशन इत्यादि के 2019-20 के बजट को कम कर दिया है।पीएम-आशा योजना के तहत साल 2019-20 के लिए 1500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। जिसे घटाकर 321 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह सीधे करीब 79 फीसदी की कटौती है। वहीं प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना को वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 900 करोड़ रुपये दिए गए थे, जिसे कम करके 200 करोड़ रुपये कर दिया गया है। किसानों को एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए लाई गई पीएम-आशा योजना का बजट मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए घटाकर सिर्फ 500 करोड़ रुपये कर दिया गया है। परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत विभिन्न तरीके से जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है। इसमें सरकार द्वारा बहुप्रचारित जीरो बजट फार्मिंग भी शामिल है। हालांकि इस योजना के तहत भी आवंटित राशि खर्च नहीं हो रही है.।वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 में इस योजना के लिए 325 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जिसे घटा कर 299.36 कर दिया गया है।


कृषि मार्केटिंग पर एकीकृत योजना के लिए 600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जिसे अब करीब 50 फीसदी कम करके 331.10 करोड़ कर दिया गया है। कृषि उत्पादों का सही तरीके से भंडारण क्षमता के लिए यह योजना काफी महत्वपूर्ण है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए इसका बजट पिछले साल के मुकाबले घटाकर 490 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
कृषि संगठन और खेती-किसानी के मुद्दे पर काम करने वाले विशेषज्ञों ने इस बजट पर काफी निराशा जताई है और कहा है कि ये कृषि संकट का समाधान नहीं कर पाएगा। बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य समर्थन योजना के लिए मौजूदा वित्त वर्ष में 3000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था लेकिन अब इसे घटाकर 2010.20 करोड़ रुपये कर दिया है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए योजना का बजट पिछले साल के मुकाबले घटाकर 2000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। विशेषज्ञों ने इसे लेकर चिंता जताई है कि जो योजना किसानों के लिए मददगार है और उनके उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने में मदद कर सकती है, उसी की फंडिंग को घटाया जा रहा है। योजना के तहत नैफेड, सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन, नेशनल कंज्यूमर कोऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया और स्मॉल फार्मर्स एग्रो बिज़नेस कंसोर्टियम को मूल्य समर्थन योजना के तहत तिलहन और दलहन की खरीद के लिए केंद्रीय एजेंसियों के रूप में नामित किया गया है। किसानों को उनकी उपज के लिए सही मूल्य प्रदान करने की इनकी जिम्मेदारी होती है। इस बजट में खेती, गांव, किसान पर खुला तीन तरफा हमला बोल दिया गया है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को खरीद का अनुदान (सब्सिडी) घटाने का फैसला लेने की वजह से अब फसल का दाम कम होगा। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एफसीआई को 1,51,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का आवंटन किया गया था जिसे वित्त वर्ष 2020-21 में घटाकर 75,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।


नई टैक्स प्रणाली में आपको टैक्स छूटों को छोड़ना होगा?


1-सेक्शन 80सी (पीएफ़, नेशनल पेंशन सिस्टम, जीवन बीमा प्रीमियम में निवेश पर छूट है)
2-सेक्शन 80डी (मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम, हाउसिंग रेंट अलाउंस पर टैक्स की दरों में बदलाव और हाउसिंग लोन पर इंटरेस्ट देना)
3-सेक्शन 80ई के तहत एजुकेशन लोन में दिए जाने वाले इंटरेस्ट पर टैक्स में छूट नहीं ली 
  जा सकती।
4-चार सालों में दो बार कर्मचारी को मिलने वाला लीव ट्रेवल अलाउंस।
5-चैरिटेबस संस्थानों को सेक्शन 80जी के तहत दिए जाने वाले दान पर मिलने वाली टैक्स 
  छूट।
6-विकलांग और धर्मार्थ दान पर मिलने वाली टैक्स छूट।
7-वेतनभोगी करदाताओं को वर्तमान में मिलने वाली 50000 रुपये की मानक छूट।
8-सेक्शन 16 के तहत मनोरंजन भत्ते और रोज़गार/पेशेवर कर में छूट।
9-पारिवारिक पेंशन के लिए 15000 रुपये तक मिलने वाली छूट।


हालांकि, अभी तक यह साफ़ नहीं है कि नए व्यक्तिगत कर प्रणाली में अधिकांश को पर्याप्त कर बचत का लाभ मिलेगा या नहीं। यह भी सवाल उठ रहे हैं कि यह वित्तीय बचत और भविष्य की सुरक्षा के लिए किस तरह से प्रेरित करता है. जैसा की पुरानी प्रणाली में पीएफ़, मेडिकल इंश्योरेंस और पेंशन स्कीम में निवेश करने से छूट मिलती थी। सेक्शन 80सीसीडी (पेंशन स्कीम में नियोक्ता की ओर से कर्मचारी के खाते में दिए जाने वाली राशि) के सब-सेक्शन (2) और सेक्शन 80जेजेएए (नए रोज़गार के लिए) में छूट के लिए अभी भी दावा किया जा सकता है।


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