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योगी आदित्यनाथ को अभिव्यक्ति की आज़ादी से डर लगता है

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योगी आदित्यनाथ को अभिव्यक्ति की आज़ादी से डर लगता है छोटा अखबार। 34 वर्षिय पूर्व भारतीय प्रशासनिक अधिकारी कन्नन गोपीनाथन पिछले साल तब चर्चा में आए, जब नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने का फ़ैसला लिया था। इसके विरोध में गोपीनाथन ने सात साल पुरानी अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा देते हुए कहा  कि सरकारी अधिकारी होने के नाते वे अनुच्छेद 370 के हटाए जाने पर अपने विचार व्यक्त नहीं कर सकते हैं। इसी मजबूरी की वजह से उन्होंने इस्तीफ़ा दिया है। इलाहाबाद के सरदार पटेल संस्थान में नागरिकता बचाओ, संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' के नाम से आयोजित एक विचार गोष्ठी में कन्नन गोपीनाथन अपने विचार रखने वाले थे। यह आयोजन ऑल इंडिया पीपल्स फोरम की ओर से आयोजित था। लेकिन ज़िला प्रशासन ने कन्नन गोपीनाथन को एयरपोर्ट से ही बाहर नहीं निकलने दिया। यह जानकारी ख़ुद गोपीनाथन ने ट्वीट कर दी। विचार गोष्ठी के आयोजक डॉ. कमल उसरी  ने कहा कि हम लोगों ने इस आयोजन की कई दिनों से तैयारी करके रखी थी। एक दिन पहले ज़िला प्रशासन को भी इस आयोजन की जानकारी दी थी। गोपीनाथन इसमें बोलने के लिए इलाहाबाद आए थे। लेकि

राजधानी में 19 जनवरी से राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लागू

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राजधानी में 19 जनवरी से राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लागू छोटा अखबार। दिल्ली समाचार सूत्रों के अनुसार भारत की राजधानी ​दिल्ली में उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने अधिसूचना जारी कर दिल्ली पुलिस को 19 जनवरी से 18 अप्रैल 2020 के बीच आपातकालीन स्थिति में किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार दे दिया है। दिल्ली के पुलिस को यह अधिकार राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून 1980 की धारा 3 के अनुसार दिया गया है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली पुलिस का कहना है कि ये नियमित आदेश है। मौजूदा हालात से इसका कोई लेना-देना नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून में प्रावधानुसार किसी व्यक्ति को बिना वजह बताए अधिकतम 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। प्रशासन और अधिकारियों को ऐसे किसी भी शख़्स को हिरासत में लेने का अधिकार है जिसे वो क़ानून-व्यवस्था और देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा समझते हों।  राजधानी में ऐसे समय में जारी यह अधिसूचना कई सवाल खड़ा करती है। जैसे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजन्स (एनआरसी) के ख़िलाफ़ लगातार विरोध प्रदर्शन होना दुसरा दिल्ली में आम चुनाव।

राज्य में बचत एवं निवेश फ्रॉड कन्ट्रोल यूनिट का होगा गठन — मुख्यमंत्री

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राज्य में बचत एवं निवेश फ्रॉड कन्ट्रोल यूनिट का होगा गठन — मुख्यमंत्री छोटा अख्बार। शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में रेंज प्रभारी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकों की समीक्षा बैठक को संबोधित करते मुख्यमंत्री अशोंक गहलोत ने कहा कि राजस्थान पुलिस अपराध नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीक एवं संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए खुद को तैयार करे। पुलिसकर्मियों में संवेदनशीलता के साथ ही प्रोफेशनल एप्रोच विकसित हो। सरकार पुलिस के सुदृढ़ीकरण एवं उन्हें संसाधन मुहैया कराने में कोई कमी नहीं रखेगी। एडीजी स्तर के अधिकारियों को रेंज की मॉनीटरिंग का जिम्मा सौंपने के पीछे हमारा उद्देश्य है कि कानून-व्यवस्था की बेहतर निगरानी हो। जमीनी स्तर का वास्तविक फीडबैक सरकार तक पहुंच सके।  मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत दिनों मल्टी स्टेट कॉपरेटिव सोसायटीज के माध्यम से लोगों की बचत हड़पने तथा उनके साथ धोखाधड़ी करने के मामलों को गंभीरता से लिया। उन्होंने ऎसे मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए ‘बचत एवं निवेश फ्रॉड कन्ट्रोल यूनिट‘ गठित करने के निर्देश दिए। यह यूनिट एसओजी के पर्यवेक्षण में काम करेगी। शराब, भूमि, खनन, ड्रग सहित विभिन्न प्र

राज्य में पंचायत आम चुनाव 2020 का प्रथम चरण सम्पन्न

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राज्य में पंचायत आम चुनाव 2020 का प्रथम चरण सम्पन्न छोटा अखबार। राज्य में पंचायत आम चुनाव 2020 के प्रथम चरण के अन्तर्गत शुक्रवार को पंचायत समितियों की ग्राम पंचायतों के मतदाताओं ने पंच एवं सरपंच पद के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग किया। चुनाव कन्ट्रोल रूम के अनुसार कई पंचायत समितियों में पहले ही सरपंच एवं वार्ड पंचों का निर्वाचन निर्विरोध हो चुका। शुक्रवार को सभी मतदान केन्द्रों पर प्रातः 8 बजे से मतदान प्रारम्भ होते ही ग्रामीण मतदान केन्द्रों पर बड़ी संख्या मेंं जुटने लगे थे और यही उत्साह मतदान की समाप्ति तक दिनभर बना रहा। 

विद्यालयों में कृषि विज्ञान विषय अब होगा कृषि संकाय

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विद्यालयों में कृषि विज्ञान विषय अब होगा कृषि संकाय   छोटा अखबार। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में संचालित कृषि विज्ञान विषय को कृषि संकाय के रूप में संचालित किए जाने की स्वीेकृति जारी की गई है। राज्य के 398 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में संचालित कृषि विज्ञान विषय अब कृषि संकाय रूप में संचालित किया जाएगा। इस संबंध में माद्यमिक शिक्षा बोर्ड को भी निर्देश दिए गए हैं कि कृषि को एक विषय की बजाय संकाय रूप में से संचालित करने के लिए पाठ्यक्रम निर्धारण एवम अन्य आवश्यक कार्यवाही करें। कृषि संकाय रूप में 11 वीं का संचालन विद्यालयों में 2019-20 से प्रारम्भ होगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है। इसे विद्यालयों में संकाय रूप में संचालित करने से विद्यार्थीयों में कृषि विषय के प्रति और रुचि जाग्रत होगी। प्रदेश के युवाओं को कृषि रोजगार में अधिक अवसर मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लिए गए इस महत्वपूर्ण निर्णय के सकारात्मक परिणाम आएंगे। डीआईपीआर के प्रेस इनपुट के साथ

आरओ से स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान — एनजीटी

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आरओ से स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान — एनजीटी छोटा अखबार। एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार जिसमें कहा गया था कि अगर टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, तो एक आरओ सिस्टम उपयोगी नहीं होगा।आरओ प्यूरिफायर के उपयोग को विनियमित करने के लिए एनजीटी ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह जहां पानी में कुल घुलनशील ठोस (टीडीएस) प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से कम है। वहां पर प्रतिबंध लगाए और दूषित जल के प्रभावों के बारे में जनता को जागरूक करें। टीडीएस इनऑर्गेनिक सॉल्ट्स के साथ-साथ कार्बनिक पदार्थों की छोटी मात्रा से बना होता है। डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के अनुसार, 300 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे का टीडीएस स्तर अच्छा माना जाता है। जबकि 900 मिलीग्राम प्रति लीटर खराब वहीं 1200 मिलीग्राम से ऊपर अस्वीकार्य है। पर्यावरण मंत्रालय को बुधवार 15 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने  को  निर्देश दिया कि दो महीने में उन जगहों पर आरओ प्यूरीफायर को प्रतिबंधित करने की अधिसूचना जारी करे। जहां पानी में कुल घुलनशील ठोस प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से नीचे है। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की

फ़ार्मा कंपनियां डॉक्टरों को रिश्वत में लड़कियां उपलब्ध कराती हैं — प्रधानसेवक

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फ़ार्मा कंपनियां डॉक्टरों को रिश्वत में लड़कियां उपलब्ध कराती हैं — प्रधानसेवक   छोटा अखबार। डॉक्टरों के शीर्ष संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मंगलवार 14 जनवरी 2020 एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन आरोपों को साबित करें या माफ़ी मांगें। जिसमें उन्होंने कहा था कि शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं।अगर प्रधानमंत्री अपनी बात साबित नहीं कर पाते तो उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए।  प्रधानमंत्री के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आईएमए ने कहा कि मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार, नरेंद्र मोदी ने अपने एक बयान में कहा है कि शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं हैं। इस महीने की शुरुआत में शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कथित तौर पर एथिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस का ज़िक्र किया था। आईएमए ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि क्या सरकार के पास उन कंपनियों की जानकारी थी जो डॉक्टरों को लड़कियां उपलब्ध कराती हैं। और अगर थी तो उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक में बुलाने के