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सिवाना SDM साहब क्या है ये?

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सिवाना SDM साहब क्या है ये? छोटा अखबार। समदड़ी खबर कवरेज के दौरान सिवाना SDM ने पत्रकार का फोन छीन कर पत्रकार के साथ मारपीट करने का प्रयास किया समदड़ी के पत्रकार महावीर सैन खबर कवरेज कर रहे थे। इस दौरान सिवाना SDM दिनेश विशनोई ने पत्रकार के साथ की बदसलूकी ओर पत्रकार का मोबाइल फोन तोड़ा। 

आखिर कहां खो गई आपकी संवेदनाएं मुख्यमंत्री जी

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आखिर कहां खो गई आपकी संवेदनाएं मुख्यमंत्री जी  छोटा अखबार।

जयपुर महारानी कॉलेज में हुआ बवाल

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 जयपुर महारानी कॉलेज में हुआ बवाल छोटा अखबार। जयपुर महारानी कॉलेज में हुआ बवाल, छात्रसंघ अध्यक्ष को बनाया हनुमान और वहां मौजूद थे  केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मेहमान।

पत्रकारों के पैदल मार्च की तैयारियां शुरू, "मुख्यमंत्री जी हमसे मिलो पोस्टर" शहर भर में लगाएगें

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पत्रकारों के पैदल मार्च की तैयारियां शुरू, "मुख्यमंत्री जी हमसे मिलो पोस्टर" शहर भर में लगाएगें  छोटा अखबार। जब 571 आवंटी पत्रकार सही हैं। उनके आवंटन के कागज सही हैं। उनके नायला के भूखंड सरकार के नियमानुसार सभी पात्रताएं पूर्ण करने के बाद आवंटित किए गए हैं तो पट्टे क्यों नहीं दिए जा रहे। मुख्यमंत्री जी हमसे क्यों नहीं मिल रहे। 15 दिन से हम आ रहे हैं और साहब हमें नजरंदाज क्यों कर रहे हैं। अब और अन्याय सहन नहीं होता। मुख्यमंत्री जी अब तो न्याय करें।  पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव के आवंटी पत्रकारों ने सोमवार को मुख्यमंत्री निवास के अधिकारियों को खुलकर पीड़ा सुनाई। सोमवार को 12वे जत्थे में शामिल वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा, कपिल मिश्रा, रजनीश शर्मा, आशीष मेहता और आसिफ उल्लाह खान ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन और आवंटन दस्तावेज सीएमआर के अधिकारियों को जमा कराए। वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल भारती और शीशराम खासपुरिया भी इस मौके पर साथ रहे। सीएमआर के संयुक्त सचिव ललित कुमार आवंटियों से मिले और बताया कि नायला योजना के पत्रकार रोजाना सीएमआर आ रहे हैं और अब तो समाचार पत्रों में भी बड़ी बड़ी खबरें छप रही ह

दो महीने बाद दिल्ली नहीं जा सकेगी राजस्थान रोडवेज की बसें

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 दो महीने बाद दिल्ली नहीं जा सकेगी राजस्थान रोडवेज की बसें  छोटा अखबार। राजधानी दिल्ली में 31 मार्च के बाद दिल्ली में सिर्फ बीएस-6 की बसें ही संचालित होसकेंगी। सरकार ने यह निर्णय दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए लिया है। इसी कारण राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसे दिल्ली नहीं जा सकेंगी। आपको बतादें कि राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के पास वर्तमान में करीब 3800 बसों का भण्डार है जो चालू हालत में है। उपरोक्त बसों में से लगभग 3000 बसें निगम की है और करीब 800 बसें अनुबंध पर है। इन बसों में रोडवेज के पास केवल बीएस-3 और बीएस-4 की बसें हि है जिनमें अनुबधित बसें भी शामिल है।  विज्ञापन राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के पास बीस -6 माॅडल की एक भी उपलब्ध नहीं है। इसी कारण रोडवेज की बसें दिल्ली नहीं जा सकेंगी। निगम सूत्रों के अनुसार बहुत जल्द ही करीब 560 बसों की खरीद की जायेगी। जिसका का कार्य प्रक्रियाधिन है।

प्रदेश के तापमान में बढ़ोतरी

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 प्रदेश के तापमान में बढ़ोतरी छोटा अखबार। वैसे तो प्रदेश में ठंड का दौर जारी है। यहां के अधिकांश इलाकों में न्यूनतम तापमान में थोड़ीसी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी दिनों में एक नए पश्चिमी विक्षोभ और पूर्वी हवाओं के आपसी मिलान के कारण पूर्वी राजस्थान में 23 से 27 जनवरी के बीच मौसम में बदलाव का अनुमान है। बदलाव में बादल छाए रहने और कोटा, जयपुर, भरतपुर संभाग के जिलों में कहीं-कहीं बारिश की संभावना जताई है। विज्ञापन

राइट टू हेल्थ बिल के ड्राफ्ट का डॉक्टरों ने किया विरोध

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 राइट टू हेल्थ बिल के ड्राफ्ट का डॉक्टरों ने किया विरोध   छोटा अखबार। राज्य सरकार द्वारा लाया जा रहा राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में डॉक्टरों ने प्रस्तावित ड्राफ्ट की प्रतियां जलाई। ये सभी डॉक्टर राइट टू हेल्थ बिल में संशोधन की मांग कर रहे हैं। इन डॉक्टरों ने विसंगतियों की जानकारी देते हुए बताया कि जनता से मांगे गए सुझावों को इस बिल में शामिल नहीं किया गया। बिल के मौजूदा ड्राफ्ट में इमरजेंसी की परिभाषा को परिभाषित नहीं किया गया है। एक्सीडेंट के मामले में घायलों को पहुंचाने वालों को तो 5000 रुपए का इनाम है, लेकिन इलाज करने वाले डॉक्टरों को कुछ नहीं है। इस बिल में पंच, सरपंच, जिला परिषद सदस्यों को शामिल कर एक काला कानून बना दिया है। पहले ही प्राइवेट अस्पतालों पर 50 से अधिक लाइसेंस का भार है। इनका उल्लंघन होने पर अस्पताल सीज कर दिए जाते हैं। अस्पतालों में तमाम सरकारी सुविधाओं पर कॉमर्शियल रेट वसूली जाती है।  विज्ञापन राइट टू हेल्थ बिल के ड्राफ्ट में जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय कमेटियों में पंच, सरपंच, जिला परिषद सदस्यों व अधिकारियों को शामिल किया गया है। इन कमेटियों को निजी अस्पतालों का निरी