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आज से एसएमएस अस्पताल में सामान्य चिकित्सा बहाल 

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आज से एसएमएस अस्पताल में सामान्य चिकित्सा बहाल  छोटा अखबार। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि एक जून 2020 से राज्य का सबसे बड़ा सवाई मानसिंह अस्पताल नोन कोविड हो जाएगा। कोविड मरीजों का इलाज आरयूएचएस में किया जाएगा। मंत्री के अनुसार शुरुआती दौर में कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए एसएमएस अस्पताल में कोविड से संक्रमितों के लिए ओपीडी, आईपीडी व इमरजेंसी चिकित्सा सुविधाएं शुरू की गई थी। अब एक जून से यहां दी जाने वाली सभी सेवाएं आरयूएचएस (राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय), प्रतापनगर में स्थानांतरित की जा रही हैं। विशेषज्ञ व समस्त स्टाफ वहां जाकर संक्रमितों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा सकेंगे।  वहीं चरक भवन में चलने वाले कोरोना ओपीडी को भी आगामी दिनों में फार्मेसी कॉलेज में स्थानांतरित किया जाएगा। तब तक यहां खांसी-जुकाम-बुखार से जुड़े मरीजों का उपचार किया जाएगा। फार्मेसी कॉलेज में स्थानांतरण के बाद यहां भी पूर्व की भांति चिकित्सा सुविधाएं जारी कर दी जाएंगी।  दूसरी ओर सांगानेरी गेट स्थित महिला चिकित्सालय में कोविड से जुड़े मरीजों और संक्रमितों का इलाज किया जा

आज से किसानों को मिलेगा 3 फीसदी ब्याज पर लोन, लोन के लिये गिरवी रखनी होगी फसल

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आज से किसानों को मिलेगा 3 फीसदी ब्याज पर लोन लोन के लिये गिरवी रखनी होगी फसल छोटा अखबार।   सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने बताया कि एक जून को सभी जिलों मेंग्राम सेवा सहकारी समितियां किसानों को रहन ऋण वितरण करउपज रहन ऋण योजनाका शुभारंभ करेगी।कोविड-19 महामारी के दौर में किसानों को कम दामों पर फसल नही बेचनी पडे़ इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 3 प्रतिशत ब्याज दर पर उपज रहन ऋण देने का फैसला किया है। इसे अमलीजामा देते हुएजून माह में 25 हजार किसानों को योजना के तहत लाभ प्रदान करने का लक्ष्य रखा हैं। ग्राम सेवा सहकारी समितियों के सदस्य लघु एवं सीमान्त किसानों को 1.50 लाख रूपये तथा बड़े किसानों को 3 लाख रूपये रहन ऋण के रूप में मिलेंगे। किसान को अपनी उपज का 70 प्रतिशत ऋण मिलेगा। इससे किसान की तात्कालिक वित्तीय आवश्यकताएं पूरी होगी। बाजार में अच्छे भाव आने पर किसान अपनी फसल को बेच सकेगा। मंत्री ने कहा कि प्रतिवर्ष कृषक कल्याण कोष से 50 करोड रूपये का अनुदान इस योजना के लिए किसानों को मिलेगा।  

प्रधानसेवक का पैगाम, आपके नाम

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प्रधानसेवक का पैगाम, आपके नाम छोटा अखबार। एक साल पहले यानि 30 मई 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की और पहला साल पूरा होने पर मोदी ने देश की जनता को चिट्ठी के माध्यम से संबोधित किया। कोविड—19 के प्रकोप के कारण पीएम स्नेहीजन देशवासियों के सामने आकर संवाद नहीं कर सके। उन्होंने चिट्ठी के जरीए न सिर्फ बीते एक साल में हुई उपलब्धियों को बताया बल्कि लॉकडाउन में लोगों के द्वारा नियमों का निष्ठा से पालन करने पर भी भूरी—भूरी प्रशंसा की। आपके लिये पेश है पीएम चिट्ठी। मेरे प्रिय स्नेहीजन, आज से एक साल पहले भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ां देश में दशकों बाद पूर्ण बहुमत की किसी सरकार को लगातार दूसरी बार जनता ने ज़िम्मेदारी सौंपी थी। इस अध्याय को रचने में आपकी बहुत बड़ी भूमिका रही है। ऐसे में आज का यह दिन मेरे लिए, अवसर है आपको नमन करने का, भारत और भारतीय लोकतन्त्र के प्रति आपकी इस निष्ठा को प्रणाम करने का। यदि सामान्य स्थिति होती तो मुझे आपके बीच आकर आपके दर्शन का सौभाग्य मिलता। लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से जो परिस्थितियां बनी हैं

प्रवासी मजदुर ने मांगा भोजन तो आईएएस ने कहा कूद जाइये ट्रेन से 

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प्रवासी मजदुर ने मांगा भोजन तो आईएएस ने कहा कूद जाइये ट्रेन से   छोटा अखबार। प्रवासी मजदूर ने एपी सिंह को कहा हम लोग झारखंड के प्रवासी मजदूर बोल रहे हैं। स्पेशल ट्रेन से वापस आ रहे हैं सर, सुबह से खाना नहीं मिला है, भूख से परेशान हो गए हैं हम लोग। तो एपी सिंह बोले अच्छा, खाना रेलवे को देना है, रेलवे देगा खाना। मजदूर ने फिर कहा तो कब देगा सर, सुबह में खाली एक पैकेट ब्रेड, एक केला और एक बोतल पानी दिया है, उसी में दिन भर काटना पड़ रहा है सर, कैसे क्या करें। फिर एपी सिंह बोले कूद जाइये वहां से,और क्या करिएगा। देश में जारी लोकडाउन से परेशानियां झेल रहे प्रवासी मजदूरों का घर वापसी का दौर जारी है। विभिन्न क्षेत्रों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों की पीड़ा पर संज्ञान लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को इस मामले में महत्वपूर्ण आदेश दिये है। कोर्ट ने कहा कि ट्रेन या बस से यात्रा करने वाले किसी भी प्रवासी मजदूर से किराया नहीं लिया जाएगा। उसे रेलवे और राज्य सरकारें आपस में वहन करें। जब तक लोग ट्रेन या बस के लिए इंतजार कर रहे होंगे उस दौरान संबंधित राज्य या केंद्रशासित प्रदेश उन्हें भोजन मुहैया क

देश में लोकडाउन के कारण लूट के साथ आत्महत्याओं का दौर शुरू

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देश में लोकडाउन के कारण लूट के साथ आत्महत्याओं का दौर शुरू छोटा अखबार। देश में जारी लोकडाउन से उपजी बेरोजगारी और आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्याओं का सिलसिला शुरू हो गया है। इस का ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में देखने को मिला है। यहां आर्थिक तंगी से परेशान दो लोगों की आत्महत्या है। समाचार सूत्रों के अनुसार मटौंध थाना प्रभारी निरीक्षक रामेंद्र तिवारी ने बताया कि लोहरा गांव के मजदूर सुरेश (22) ने बुधवार को एक पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वे लॉकडाउन में दिल्ली फंस गए थे और पांच दिन पहले ही अपने गांव लौटे थे। मृत युवक के परिजनों के अनुसार सुरेश दिल्ली से लौटने के बाद आर्थिक तंगी से परेशान थे। उनके पास खर्चे के लिए पैसे नहीं थे। जिसके चलते उसने फांसी लगा ली। शव का पोस्टमॉर्टम करवाया गया है और घटना की जांच की जा रही है। कुछ इसी तरह की घटना पैलानी थाना क्षेत्र के सिंधन कलां गांव में घटी। दस दिन पहले मुंबई से लौटे मनोज (20) ने अपने घर के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मनोज के माता—पिता की पहले मौत हो चुकी थी और परिवार में वो अकेले ही ​थे। पड़ोसियों का कहना है कि मनोज म

देश के कई राज्यों में टिड्डी दल का हमला जारी।

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देश के कई राज्यों में टिड्डी दल का हमला जारी। छोटा अखबार। एक तरफ देश में कोविड—19 महामारी का कहर जारी है तो वहीं दुसरी ओर देश के कई राज्यों में टिड्डियों के दल ने हमला कर किसानों की नींद उडा रखी है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और यूपी जैसे प्रदेश टिड्डियों के हमलों से ज्यादा परेशान है। जानकारों के अनुसार टिड्डियों का यह दल ईरान, पाकिस्तान और अफ्रीका को भी खूब नुकसान पहुंचा चुका है। यह भी मानना है कि टिड्डि दल के हमलों पर समय रहते काबू नहीं किया तो यह किसानों को तबाह कर सकता है। इनके हमलों से मूंग, कपास और मिर्ची की फसल को भारी नुकसान हो सकता है।  राजस्थान से मंदसौर के रास्ते मध्यप्रदेश में घुसा यह टिड्डियों का दल कई राज्यों में किसानों पर कहर बरपा सकता है। सबसे ज्यादा नुकसान राजस्थान को हुआ है। यहां टिड्डी दल ने पूर्व में भी हमला कर खेती को चट कर किसानो को खूब रूलाया है। टिड्डी दल के हमलों से सरकार ने कोई खास सकारात्मक सहायता नहीं की। ज्यादातर किसान अपने स्तर पर ही ढोल, थाली, पटाखे और स्प्रे से इन्हें भगाने का प्रयास कर रहे हैं। जयपुर सहित कई शहरों के रिहायशी इलाकों में भी टिड्डी दल का प्रकोप

यूपी में आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून 1966 लागू

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यूपी में आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून 1966 लागू   छोटा अखबार। एस्मा संसद में पारित अधिनियम है। इस अधिनियम का प्रयोग देश में सर्व प्रथम 1968 में किया गया था। यह कानून मुश्किलों के बीच कर्मचारियों की हड़ताल रोकने के लिए बनाया गया था। इस का प्रयोग अधिकतम छह माह के लिए किया जा सकता है। कानून के अनुसार कोई कर्मचारी छुट्टी पर या फिर हड़ताल पर जाता है तो उनका यह कृत्य अवैध और दंडनीय की श्रेणी में आता है। इस कानून का उल्लंघन करने पर एक साल तक की जेल या 1,000 रुपये का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। एस्मा में पुलिस इस कानून के प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। कोविड—19 महामारी को दखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में छह महीने के लिए आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागू कर दिया है। इस कानून के अनुसार प्रदेश में सरकारी सेवाओं, निगमों और स्थानीय प्राधिकरणों में कार्यरत कर्मचारी छह महीने तक हड़ताल नहीं कर सकते है। समाचार सूत्रों के अनुसार अतिरिक्त मुख्य सचिव कार्मिक ने 22 मई को जारकारी देते हुये बताया कि प्रदेश में एस्मा लागू कर दिया है और इस आशय का