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युवराज, शत्रुंज्य दो भाईयों ने कुश्ती में गोल्ड मेडल जीता 

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युवराज, शत्रुंज्य दो भाईयों ने कुश्ती में गोल्ड मेडल जीता  छोटा अखबार। टेकन अबेक एसोसिएशन इंडिया कीओर से 14_16 फरवरी को महेन्द्रगढ़ के अटेली (हरियाणा) मे ऑल इण्डिया टेक अबेक चैम्पियन शिप 2020 प्रतियोगिता आयोजित की गई। एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल राज और कोच प्रमोद कटारिया ने बताया कि प्रतियोगिता में कबड्डी, वॉलीबॉल, कराटे, एथलेटिक्स रेसलिंग सहित विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिस में हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, करनाटक सहित कई जगह की टीमों ने हिस्सा लिया। कशती में करौली जिले के पटौंदा निवासी युवराज चतुर्वेदी(बरगमा) ने 17 आयु वर्ग में  50 किलो भार में गोल्ड मेडल जीता, वही छोटे भाई शत्रुंज्य चतुर्वेदी ने 14 आयु वर्ग में कुश्ती में ही गोल्ड मेडल अपने नाम किया। दोनो भाई 25 फरवरी को नेपाल में होने वाली अन्तरराष्ट्रीय स्पोट्स  चैपियनशिप 2020 में हिस्सा लेंगे। दोनो भाई अपनी उपलधियों का श्रेय कोच राजेश सिंह चंदेल, दादा लक्ष्मी नारायण चतुर्वेदी , पिता बालकृष्ण  को देते है। इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चेयरमैन अशोक यादव व अध्यक्षता प्रार्चाय भूपेंद्र यादव ने की।

भाजपा चुनावों में अपनी विचारधारा के प्रसार में भरोसा करती — अमित शाह

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भाजपा चुनावों में अपनी विचारधारा के प्रसार में भरोसा करती — अमित शाह छोटा अखबार। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने13 फरवरी को एक समाचार चेनल के कार्यक्रम में स्वीकार किया कि दिल्ली चुनावों के दौरान पार्टी के कुछ नेताओं के बयानों के कारण भाजपा को नुकसान हुआ होगा। उन्होने यह भी स्वीकार किया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा नेताओं को, गोली मारो और भारत- पाकिस्तान मैच जैसे घृणा भरे भाषण नहीं देने चाहिए थे और संभव है कि इस तरह की टिप्पणियों से पार्टी की हार हुई। शाह ने कहा कि भाजपा केवल जीत या हार के लिए चुनाव नहीं लड़ती है बल्कि चुनावों के माध्यम से अपनी विचारधारा के प्रसार में भरोसा करती है। दिल्ली चुनावों पर उनके आकलन गलत हुए। हालांकि उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि चुनाव परिणाम संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर जनादेश नहीं था। वहीं दुसारी ओर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उपरोक्त बयान एक दिन बाद 14 फरवरी शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनकी पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला हो गया और का

31 मार्च तक आधार, पैन को करें लिंक, नहीं तो पैन कार्ड रद्द

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31 मार्च तक आधार, पैन को करें लिंक, नहीं तो पैन कार्ड रद्द छोटा अखबार। 31 मार्च 2020 तक अगर आपने अपने आधार कार्ड को पैन कार्ड के साथ लिंक नहीं किया तो पैन कार्ड से जुड़े कुछ काम रुक सकते हैं और पैन कार्ड को रद्द भी किया जा सकता है।आधार-पैन लिंक के लिए तारीख को कई बार आगे बढ़ाया गया है और अब इसके लिए आख़िरी तारीख़ 31 मार्च है जिसके बाद पैन अन-ऑपरेटिव हो जाएगा। आयकर विभाग के अनुसार आयकर रिटर्न भरने के लिए पैन कार्ड की ज़रूरत होती है। दोनों दस्तावेज़ लिंक न होने पर लोगों को कुछ परेशानी आ सकती है। हालांकि दोनों दस्तावेज़ों को 31 मार्च के बाद भी लिंक किया जा सकेगा। लेकिन इस तारीख के बाद पैन को आधार से लिंक करने पर वह उसी दिन से माना जाएगा जिस दिन उसे लिंक किया जाएगा। आयकर विभाग ने अपनी वेबसाइट पर आधार पैन लिंक करने की ऑनलाइन सुविधा दी है। साथ ही अगर कोई ये देखना चाहे कि उसका आधार और पैन लिंक हुए हैं या नहीं तो वो भी आसानी से ऑनलाइन देखा जा सकता है।  

सुशासन ही सरकार का मुख्य उद्देश्य — मुख्यमंत्री

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सुशासन ही सरकार का मुख्य उद्देश्य — मुख्यमंत्री छोटा अखबार। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आमजन से जुड़े छोटे-छोटे कामों के लिए लोगों का राजधानी तक आना गंभीर बात है। ऎसे मामलों में जिन अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही सामने आती है, उनकी जिम्मेदारी तय की जाए। उन्होंने कहा कि सुशासन ही सरकार का मुख्य उद्देश्य है और जिला कलेक्टर इसकी महत्वपूर्ण कड़ी हैं। वे कप्तान की तरह सभी विभागों से समन्वय कर बेहतर सर्विस डिलीवरी सुनिश्चित करें। गहलोत मुख्यमंत्री कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला कलक्टरों के साथ मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में दवाओं की उपलब्धता, अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की स्थिति, टीकाकरण, सिलिकोसिस एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार के प्रकरणों में सहायता, मुख्यमंत्री जनसुनवाई एवं सम्पर्क पोर्टल पर दर्ज प्रकरणों की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री की जनसुनवाई को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त पत्रों को कलेक्टर स्वयं देखें। उन्होंने कहा कि सम्पर्क पोर्टल तथा मुख्यमंत्री जनसुनवाई के प्रकरणों की जिला कलेक्टर साप्ताहिक स

गुजरात में छात्राओं से जबरन जाँच के लिए अंडरवियर उतरवाए

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गुजरात में छात्राओं से जबरन जाँच के लिए अंडरवियर उतरवाए छोटा अखबार। गुजरात के श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीच्यूट (SSGI) के होस्टल की छात्राओं से कथित तौर पर जबरन इस बात की जाँच के लिए अंडरवियर उतरवाए गए कि उन्हें कहीं पीरियड्स तो नहीं हो रहे। गुजरात समाचार सूत्रो के अनुसार होस्टल प्रमुख ने प्रिंसिपल से शिकायत की थी कि कुछ लड़कियों ने पीरियड्स के दौरान छात्रावास की धार्मिक परंपरा की अवमाननना की है। इस शिकायत के बाद छात्राओं को स्वामीनारायण संप्रदाय के नियमों को लेकर सख़्त बातें कही गईं और कहा गया कि जो भी छात्रा पीरियड्स से ग़ुजर रही है वो अपनी इच्छा से सामने आए। छात्राओं का कहना है कि इस घटना से उन्हें मानसिक सदमा पहुँचा है और वे इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की माँग कर रही हैं। गुजरात महिला आयोग की अध्यक्ष लीलाबेन अंकोलिया ने खबरनविसों को बताया कि आयोग की ओर से पुलिस के सामने चार लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की गई है जिनमें कॉलेज की प्रिंसिपल भी शामिल हैं। इस घटना की जाँच के लिए एक समिति गठित की है जो कॉलेज का दौरा करेगा। वहीं कॉलेज प्रशासन ने इस घटना पर हैरानी जत

राजस्थान विधानसभा में मुख्यमत्री का जवाब 

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राजस्थान विधानसभा में मुख्यमत्री का जवाब  छोटा अखबार। राजस्थान विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर अग्रेत्तर वाद—विवाद पर मुख्यमत्री के जवाब का सीधा प्रसारण जी ओ न्यूज राजस्थान  पर।

गांधीजी को भगत सिंह से दिक्कत क्यों थी?

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गांधीजी को भगत सिंह से दिक्कत क्यों थी? छोटा अखबार। भारत सरकार के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने गुजरात यूनिवर्सिटी में कहा कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को बचाने का प्रयास नहीं किया और आरोप लगाया कि भारत में स्वतंत्रता के इस वैकल्पिक इतिहास को दबाने के लिए क्रांतिकारियों की कहानी को जानबूझकर तोड़ा मरोड़ा गया था। खबर सूत्रों के अनुसार गुजरात यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए सान्याल ने कहा कि यह कहानी भारत की स्थापित राजनीति और स्वतंत्रता के बाद अंग्रेजों दोनों के लिए असुविधाजनक थी। सान्याल ने जोर देते हुए कहा कि क्रांतिकारियों के इस नजरिए को स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए। यूनिवर्सिटी के छात्रों और फैकल्टी से कहा कि यह कहना मुश्किल है कि क्या महात्मा गांधी भगत सिंह या किसी अन्य क्रांतिकारी को फांसी से बचाने में सफल होते क्योंकि तथ्य मौजूद नहीं है। लेकिन उन्होंने इसका बहुत ज्यादा प्रयास नहीं किया। गांधी हिंसा को लेकर पर्याप्त खुश थे। अगर प्रथम विश्व युद्ध के लिए वे भारतीय सैनिकों को ब्रिटिश सेना में भेजने को तैयार थे तब उन्हें उ