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विद्यालयों में कृषि विज्ञान विषय अब होगा कृषि संकाय

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विद्यालयों में कृषि विज्ञान विषय अब होगा कृषि संकाय   छोटा अखबार। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में संचालित कृषि विज्ञान विषय को कृषि संकाय के रूप में संचालित किए जाने की स्वीेकृति जारी की गई है। राज्य के 398 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में संचालित कृषि विज्ञान विषय अब कृषि संकाय रूप में संचालित किया जाएगा। इस संबंध में माद्यमिक शिक्षा बोर्ड को भी निर्देश दिए गए हैं कि कृषि को एक विषय की बजाय संकाय रूप में से संचालित करने के लिए पाठ्यक्रम निर्धारण एवम अन्य आवश्यक कार्यवाही करें। कृषि संकाय रूप में 11 वीं का संचालन विद्यालयों में 2019-20 से प्रारम्भ होगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है। इसे विद्यालयों में संकाय रूप में संचालित करने से विद्यार्थीयों में कृषि विषय के प्रति और रुचि जाग्रत होगी। प्रदेश के युवाओं को कृषि रोजगार में अधिक अवसर मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लिए गए इस महत्वपूर्ण निर्णय के सकारात्मक परिणाम आएंगे। डीआईपीआर के प्रेस इनपुट के साथ

आरओ से स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान — एनजीटी

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आरओ से स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान — एनजीटी छोटा अखबार। एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार जिसमें कहा गया था कि अगर टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, तो एक आरओ सिस्टम उपयोगी नहीं होगा।आरओ प्यूरिफायर के उपयोग को विनियमित करने के लिए एनजीटी ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह जहां पानी में कुल घुलनशील ठोस (टीडीएस) प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से कम है। वहां पर प्रतिबंध लगाए और दूषित जल के प्रभावों के बारे में जनता को जागरूक करें। टीडीएस इनऑर्गेनिक सॉल्ट्स के साथ-साथ कार्बनिक पदार्थों की छोटी मात्रा से बना होता है। डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के अनुसार, 300 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे का टीडीएस स्तर अच्छा माना जाता है। जबकि 900 मिलीग्राम प्रति लीटर खराब वहीं 1200 मिलीग्राम से ऊपर अस्वीकार्य है। पर्यावरण मंत्रालय को बुधवार 15 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने  को  निर्देश दिया कि दो महीने में उन जगहों पर आरओ प्यूरीफायर को प्रतिबंधित करने की अधिसूचना जारी करे। जहां पानी में कुल घुलनशील ठोस प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से नीचे है। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की

फ़ार्मा कंपनियां डॉक्टरों को रिश्वत में लड़कियां उपलब्ध कराती हैं — प्रधानसेवक

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फ़ार्मा कंपनियां डॉक्टरों को रिश्वत में लड़कियां उपलब्ध कराती हैं — प्रधानसेवक   छोटा अखबार। डॉक्टरों के शीर्ष संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मंगलवार 14 जनवरी 2020 एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन आरोपों को साबित करें या माफ़ी मांगें। जिसमें उन्होंने कहा था कि शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं।अगर प्रधानमंत्री अपनी बात साबित नहीं कर पाते तो उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए।  प्रधानमंत्री के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए आईएमए ने कहा कि मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार, नरेंद्र मोदी ने अपने एक बयान में कहा है कि शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं हैं। इस महीने की शुरुआत में शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कथित तौर पर एथिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस का ज़िक्र किया था। आईएमए ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि क्या सरकार के पास उन कंपनियों की जानकारी थी जो डॉक्टरों को लड़कियां उपलब्ध कराती हैं। और अगर थी तो उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक में बुलाने के

सरकार के खिलाफ सरकार, मामला सुप्रीम कोर्ट में

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सरकार के खिलाफ सरकार, मामला सुप्रीम कोर्ट में छोटा अखबार। केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केरल राज्य ने मुकदमा दायर किया है। केरल ने विवादित नागरिकता संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देते हुए संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत ये मुकदमा दायर किया गया है। यह अनुच्छेद एक या एक से अधिक राज्यों और केंद्र सरकार के बीच विवादों में सर्वोच्च न्यायालय को फैसला करने का अधिकार देता है। केरल ने तर्क दिया है कि अनुच्छेद 131 के अनुसार नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दी जा सकती है।  समाचार सूत्रों के अनुसार याचिका में कहा गया है कि विवादास्पद कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन करता है। केरल सरकार ने पासपोर्ट संशोधन नियम 2015 और विदेशियों आदेश की वैधता को भी चुनौती दी है। इस कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 2015 के पहले भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। नागरिकता संशोधन कानून और अन्य नियमों को चुनौती देते हुए केरल ने कहा है कि यह कानून अनुच्छेद 14, 21 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

देश में अब नया बवाल, कारण ईसा मसीह

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देश में अब नया बवाल, कारण ईसा मसीह छोटा अखबार। देश की राजनीति में र्धम को लेकर बवाल मचा हुआ है। यह बवाल कभी सबरीमला मंदिर तो कभी बाबाबुडनगिरी दरगाह पर मचा। लेकिन अब बारी है ईसा मसीह की। मामला कर्नाटक राज्य का है। बेंगलुरु से 65 किलोमीटर दूर कनकपुरा में ईसा मसीह की 114 फुट लंबी मूर्ति बनवाने के लिए 10 एकड़ ज़मीन देने का प्रस्ताव पूर्व सरकार में रखा था। लेकिन अब राज्य में हिंदू जागरण वेदिके नाम की दक्षिणपंथी संस्था मौजूदा बीजेपी सरकार से यह मांग कर रही है कि वो इस प्रस्ताव को वापस ले। हिंदू जागरण वेदिके के सदस्यों ने ईसा मसीह की प्रस्तावित मूर्ति के ख़िलाफ़ कनकपुरा में एक विशाल रैली का आयोजन भी किया। कर्नाटक सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित मूर्ति को लेकर विवाद तब और बढ़ गया था जब इसके लिए 10 लाख की सस्ती दर पर ज़मीन देने वाले कांग्रेस विधायक डीके शिवकुमार का नाम मनी लॉन्ड्रिंग के एक कथित मामले में सामने आया। इस मामले में डीके पिछले साल अक्टूबर तक 50 दिन जेल में थे। डीके पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री थे और वो कनकपुरा से विधायक भी हैं। कनकपुरा रैली को खास बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक सं

हमारी सरकार ने प्रदर्शनकारियों को कुत्तों की तरह मारा — भाजपा अघ्यक्ष

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हमारी सरकार ने प्रदर्शनकारियों को कुत्तों की तरह मारा — भाजपा अघ्यक्ष छोटा अखबार। रविवार 11 जनवरी 2020 को पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने नादिया जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि  मुख्यमंत्री ने नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान रेलवे की संपत्ति और सार्वजनिक परिवहन को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ लाठीचार्ज या गोली चलाने का आदेश नहीं दिया था। घोष ने कहा कि संपत्तियों का नुकसान हुआ। यह किसका पैसा था। यह मेरा पैसा है। यह आपका पैसा है। उन्होंने रेलगाड़ियों में आग लगा दी। किसका पैसा बर्बाद हु। अभी तक एक भी गोली नहीं चली। कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ और कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई। पुलिस ने किसी को गिरफ्तार भी नहीं किया। जो लोग सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान कर रहे हैं क्या यह उनके पिताजी की संपत्ति है। करदाताओं के पैसे से बनी सरकारी संपत्ति को वे कैसे नष्ट कर सकते हैं। घोष ने यह भी कहा कि असम और उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार ने इन प्रदर्शनकारियों को कुत्तों की तरह मारा था। इन्हें गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

बेलूर मठ नरेंद्र मोदी से नाराज, उन्हें अनुमति नहीं कि वे यहां आएं 

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बेलूर मठ नरेंद्र मोदी से नाराज, उन्हें अनुमति नहीं कि वे यहां आएं  छोटा अखबार। रामकृष्ण मिशन संस्था के कई सदस्यों ने मोदी के इस भाषण पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह एक अराजनीतिक संस्था है जहां सभी धर्म के लोग भाइयों की तरह रहते हैं। सूत्रों के अनुसार मिशन के सदस्य गौतम रॉय ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि रामकृष्ण मिशन के मंच से विवादित राजनीति संदेश दिए जा रहे हैं। रामकृष्ण मिशन एक अराजनीतिक संस्था है। मैं दो बातें स्पष्ट कर दूं। पहली रामकृष्ण मिशन में अभिषेक की एक विस्तृत और आधिकारिक प्रक्रिया है। मोदी का आधिकारिक तौर पर अभिषेक नहीं किया गया है। दूसरा उन्हें इसकी अनुमति नहीं है कि वे यहां आएं और राजनीतिक टिप्पणी करें। मेरा आंकलन ये है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े वरिष्ठ आध्यात्मिक नेताओं को शामिल करके पिछले कुछ सालों में रामकृष्ण मिशन का राजनीतिकरण कर दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 12 जनवरी 2020 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ में राष्ट्रीय युवा दिवस के दिन भाषण दिया था । अपने भाषण में मोदी ने कहा कि उनकी सरकार नागरिक